आज विश्व प्रयावरण दिवस है. साल 1972 में विकास एवं पर्यावरण विषय पर स्टॉकहोम में आयोजित विश्व स्तरीय संगोष्ठी में पर्यावरण एवं विकास विषय पर समग्र रूप से चिंतन विश्व में पहली बार किया गया था. उसके से हर साल 5 जून के दिन को विश्व भर में विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. इस मौके पर इस साल शहरी पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए केंद्र सरकार शहरों में जंगल क्षेत्र बढ़ाने के लिए योजना लेकर आई है.
5 जून को अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के मौके पर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शहरी वन्य कार्यक्रम का ऐलान किया. इस कार्यक्रम को देश के 200 शहरों के निगमों में लॉन्च किया गया है.
कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण वर्चुअल तरीके से हुए लॉन्च इवेंट में बोलते हुए जावड़ेकर ने कहा कि देश के शहरों में भी जंगलों को बढ़ाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, “हमारे ग्रामीण इलाकों में तो जंगल हैं, लेकिन शहरी इलाकों में ज्यादा नहीं हैं. कुछ शहरों में 2-3 जंगल हैं, लेकिन हमें इनसे ज्यादा की जरूरत है.”
शहरी वन कार्यक्रम को लॉन्च करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार इस काम में फंडिंग में मदद करेगी. जावड़ेकर ने कहा, “शहरों में बगीचे तो हैं लेकिन जंगल नहीं हैं. हमें जंगलों का निर्माण करना है, इसलिए हम देश के 200 शहरी निगमों में शहरी वन्य कार्यक्रम की शुरुआत कर रहे हैं.” जावड़ेकर ने कहा, “मैं सबसे अपील करता हूं कि मिलकर इस काम को करें. हम पीपीपी मोड और जनता की भागीदारी से इन शहरों को अच्छे जंगलों का ईनाम देने पर विचार कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि भारत में दुनिया की 16 फीसदी आबादी है और इतनी ही आबादी पालतू पशुओं की है, लेकिन सिर्फ 2.5 फीसदी जमीन और 4 फीसदी प्राकृतिक जल स्रोत है और इसके बावजूद देश में जैव विविधता का स्तर बना हुआ है. मालूम हो कि युक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा वर्ष 2020 की वार्षिक थीमको जैव विविधता का उत्सव घोषित किया गया जो कोरोना महामारी से पूर्व घोषित हुआ था.
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