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#Column: हमें प्रकृति का सम्मान करना सीखना होगा

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रमणीश गीर: कोरोना की वजह से लागू तालाबंदी का पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है. इसलिए अब यह सुनिश्चित करना है कि हम इसे आगे बढ़ाएं और अपने पर्यावरण का ध्यान रखें.

प्रत्येक व्यक्ति को यह समझने की जरूरत है कि एक स्वच्छ वातावरण में ही धरती पर जीवन संभव है. पर्यावरणीय परिवर्तनों ने हमारे ग्रह पर जीवन के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है. जिसकी वजह से आज एचआईवी, इबोला, डेंगू, सार्स और COVID-19 जैसे संक्रमण आज तेजी से फैल रहे हैं. ऐसी महामारी हमारी जिंदगी को प्रभावित कर, हमारे काम करने के तौर-तरीको में अमूल- चूल परिवर्तन कर दिए हैं.

मेरे कार्यालय और घर के हरे-भरे वातावरण में रहने वाली विभिन्न प्रकार के पक्षियों की बदौलत मैंने पर्यावरण में रुचि लेना शुरू किया था. मुझे पक्षियों में दिलचस्पी होने लगी और फिर मैंने अपने कार्यालय और घर के आसपास की पक्षियों का तस्वीर लेना शुरू किया. जिसके बाद मुझे उनकी रक्षा और संरक्षण में इतनी दिलचस्पी हुई कि आज यह मेरे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है.

आज की स्थिति को देखकर मुझे अपनी लिखी एक कविता ‘एक और विश्व युद्ध’ की याद आती है ” ना गोली चली ना धुआं उठा, फिरे ये कैसा कोहराम हुआ”.

विश्व की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित है. प्रकृति में सुधार करने की क्षमता होती है. जहां विश्व तालाबंदी से पूर्व की परिस्थिति में एक बार फिर से प्रवेश करने को तैयार है, वहीं हमें भविष्य में झांकने की आवश्यकता है. इस महामारी से निपटने के लिए हमें चंद बातों पर ध्यान देना होगा.

लघु अवधि में हमें बायोमेडिकल अपशिष्ट को नष्ट करने की प्रक्रिया में वायु गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा. वायु प्रदूषण पर फैलने वाली तकनीकों के स्थान पर पर्यावरण अनुकूल तकनीक का इस्तेमाल करते हुए हमें अपशिष्ट प्रबंधन पर उतनी ही तेज गति से काम करना है जितना आज हम कर रहे हैं. हमें एक उत्तम कार्य शैली विकसित करनी होगी जिसमें वर्क फॉर होम, वेबनार, ऑनलाइन क्रॉन्फ्रेंसिंग, सोशल डिस्टेंसिंग आदि मुख्य रुप से शामिल हों. मध्य अवधि में हमें तेज गति से कार्य करते हुए वन्य और मानव जीवन में संतुलन के साथ हरियाली की ओर ध्यान देना होगा.

अंतिम और तीसरे चरण में हमें विकासशील देशों की तरह विकास एंव प्राकृतिक वातावरण में तारतम्य बैठाते हुए एक लचीले एंव स्थाई समाज की ओर ध्यान केंद्रित करना होगा. कोरोना आदिक वायरस, कीटाणू ऐसे इलाकों में फैलने से रोकना होगा जहां पर विभिन्न प्रकार के प्राणी पाए जाते हों. इसके अलावा वैश्विक संकट जैसे कि, जैव-विविधता, जंगली आग एंव ऑजोन परत जैसे मुख्य घटकों पर भी ध्यान देना होगा.

(रमणीश गीर सीबीआई, भोपाल में संयुक्त निदेशक पद पर कार्यरत हैं. लेख उनके व्यक्तिगत विचारों पर आधारित है. यह लेख मूल रूप से इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में विश्व पर्यावरण दिवस 2020 के अवसर पर दिए दिए संबोधन पर आधारित है.)

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