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विपक्ष की मांग पर पीएम केयर्स फंड के ऑडिट के लिए तैयार हुई सरकार

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विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री केयर्स फंड को लेकर लगातार उठाई जा रही आपत्तियों के बीच फंड का ऑडिट करवाने के लिए केंद्र सरकार तैयार हो गई है. फंड के ऑडिट के लिए एक ऑडिटर की नियुक्ति भी कर दी गई है. इस बात की जानकारी पीएम केयर्स फंड की वेबसाइट पर दी गई है. इसके मुताबिक़ दिल्ली की चार्टर्ड अकाउंटिंग फर्म मेसर्स सार्क एन्ड एसोसिएट्स को फंड की ऑडिट के लिए ऑडिटर नियुक्त किया गया है.

ऑडिटर नियुक्त करने का फ़ैसला 23 अप्रैल को केयर्स फंड के ट्रस्टी की बैठक में लिया गया था. हर वित्तीय वर्ष के अंत में पीएम केयर्स फंड का ऑडिट किया जाएगा. फर्म को तीन साल के लिए इस फंड का ऑडिटर नियुक्त किया गया है. वेबसाइट के मुताबिक़, प्रधानमंत्री पदेन पीएम केयर्स फंड के बोर्ड ऑफ ट्रस्टी के चेयरमैन होंगे.

रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री को भी ट्रस्टी का पदेन सदस्य बनाया गया है. इसके अलावा बोर्ड ऑफ ट्रस्टी के चेयरमैन होने के नाते प्रधानमंत्री तीन अन्य लोगों को इसमें नामित करेंगे. ये तीनों सदस्य स्वास्थ्य, रिसर्च, सामाजिक कार्य और लोक परोपकार, क़ानून, विज्ञान और लोक प्रशासन के क्षेत्र से जुड़ी बड़ी हस्तियां हो सकती हैं. हालांकि वेबसाइट पर इन लोगों के नाम नहीं दिए गए हैं. साउथ ब्लॉक स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय को इस फंड का आधिकारिक कार्यालय बनाया गया है और कार्यालय से जुड़े संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी को इसके प्रशासनिक देखरेख की जिम्मेवारी दी गई है.

मालूम हो कि धर्मार्थ ट्रस्टों को आयकर में छूट मिलती है और इसलिए उन्हें चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा ऑडिट करवाने और आयकर विभाग को रिपोर्ट करने की जरूरत होती है. पिछले कुछ वर्षों से धर्मार्थ ट्रस्टों को नियंत्रित करने वाले नियमों को कड़ा कर दिया गया है ताकि प्राप्त धन का उपयोग इच्छित उद्देश्य के लिए हो.

मालूम हो कि पीएम केयर्स फंड का गठन 27 मार्च को एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में किया था. इसका गठन रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के तहत किया गया. फंड का उद्देश्य किसी विपदा या महामारी से पैदा हुई आपात स्थिति से निपटना है. इस फंड में दिया गया दान इनकम टैक्स छूट के दायरे में आता है. फंड में किसी कम्पनी की ओर से किए गए दान को कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी यानि सीएसआर के दायरे में रखा गया है और इस नाते इसे भी इनकम टैक्स छूट के दायरे में डाला गया है.

कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस जैसी विपक्षी पार्टियां लगातार पीएम केयर्स फंड को लेकर सवाल उठाती रही हैं. इन पार्टियों की सबसे बड़ी आपत्ति फंड का ऑडिट किए जाने को लेकर ही रही है. इन पार्टियों ने इस बात पर भी सवाल खड़े किए थे कि जब पीएम राष्ट्रीय राहत कोष की व्यवस्था पहले से थी तो फिर एक नया फंड बनाए जाने की क्या ज़रूरत थी.

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