भारत-चीन सीमा पर काफी समय से विवाद की स्थिति बनी हुई है. इसको लेकर दोनों देशों के बीच कई स्तर पर बातचीत हो चुकी है लेकिन इसका सबसे बड़ा परिणाम सोमवार को देखने को मिला. करीब तीन महीने के गतिरोध के बाद भारत और चीन तनाव कम करने पर सहमत हो गए हैं. रविवार को दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों की बातचीत हुई, जिसके बाद डिसइंगेजमेंट और डी-एस्केलेशन पर दोनों पक्ष सहमत हो गए. रविवार को हुई बातचीत में NSA अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी शामिल हुए जो करीब 2 घंटे तक चली.
मालूम हो कि 15 जून की रात को भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई भिड़ंत में देश के 20 सैनिक शहीद हो गए थे जबकि कई चीनी सैनिक भी हताहत हुए थे. हालांकि इसके बाद चीन को लेकर भारत का रवैया पूरी तरह से बदल गया. भारत ने चीन को संदेश देने के लिए कई कदम भी उठाए, वहीं कोर कमांडर स्तर पर तीन बैठकें हुईं, डिप्लोमैटिक स्तर पर भी दो बार अहम बैठकें हुईं. लेकिन चीन अपने रवैये पर अड़ा रहा. पीएम मोदी ने सीधे लेह से चीन को स्पष्ट संदेश दिया.
सूत्रों ने बताया कि पीएम के दौरे के बाद भारत-चीन के बीच 48 घंटों तक संवाद का सिलसिला जारी रहा और रविवार को दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच 2 घंटे तक विस्तार से बातचीत हुई, जिसमें दोनों देश सीमा पर तनाव कम करने के लिए सहमत हो गए. भारत और चीन के बीच विदेश प्रतिनिधि स्तर पर बातचीत पहले भी होती रही है. अभी तक स्पेशल रिप्रेजेन्टेटिव स्तर पर 22 दौर की बातचीत हो चुकी है.
दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच हुई रविवार की बैठक में भारत-चीन सीमा के पश्चिमी सेक्टर में हाल की घटनाओं पर चर्चा हुई. बैठक में दोनों सेनाओं के पूरे डिसइंगेजमेंट और सीमावर्ती इलाकों से डी-एस्केलेशन और शांति बहाली पर सहमति बनी, वहीं डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया में तेज़ी पर भी सहमति बनी.
उधर खबर है कि भारत के आक्रामक तेवर की वजह से चीन सेना गलवान की घाटी में पीछे हटने को मजबूर हो गई है. माना जा रहा है कि सैन्य स्तर पर होने वाली आपसी सहमती के बाद चीनी सैनिक 2 किलोमीटर पीछे हटे हैं. इसे सीमा पर तैनात सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया का पहला पड़ाव माना जा रहा है.
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