लगातार आ रही कोरोना वैक्सीन की सकारात्मक खबरों के बाद अब ऐसा लग रहा है कि जल्दी ही दुनिया को इस महामारी से निजात मिल सकता है. अमेरिका से एक राहतभरी खबर आ रही है. अमेरिकी दवा निर्माता कंपनी मॉडर्ना कोरोना वायरस वैक्सीन के अंतिम चरण के ट्रायल की तैयारी कर रही है. कंपनी के अनुसार, 27 जुलाई को इस ट्रायल को शुरू किया जा सकता है. मॉडर्ना ने कहा कि वह अमेरिका के 87 स्थानों पर इस वैक्सीन के ट्रायल का आयोजन करेगी जिसमें 30 हजार लोगों को शामिल किया जाएगा.
खबरों के मुताबिक परीक्षण में सामिल लोगों को पहले दिन संभावित वैक्सीन के 100 माइक्रोग्राम की खुराक दी जाएगी, उसके 29 दिन बाद दूसरी खुराक दी जाएगी. मॉडर्ना की कोरोना वायरस वैक्सीन अपने पहले ट्रायल में पूरी तरह से सफल रही जिससे दुनिया को वैक्सीन मिलने की उम्मीदों को काफी बल मिला है.
शुरुआती ट्रायल के परिणाम काफी अच्छे
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसीन में छपे अध्ययन में कहा गया है कि 45 स्वस्थ लोगों पर इस वैक्सीन के पहले टेस्ट के परिणाम बहुत अच्छे रहे हैं. इस वैक्सीन ने प्रत्येक व्यक्ति के अंदर कोरोना से जंग के लिए एंटीबॉडी विकसित किया. मॉडर्ना की वैक्सीन की एक और अच्छी बात यह रही कि इसका कुछ खास साइड इफेक्ट नहीं देखने को मिला.
मालूम हो कि अमेरिकी सरकार ने मॉडर्ना को वैक्सीन विकसित करने के लिए आधा मिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता भी दी है. इस वैक्सीन के पहले दो चरण के ट्रायल्स को लेकर कंपनी ने सफल होने का दावा किया था. हालांकि, इससे जुड़े डेटा को कंपनी ने शेयर नहीं किया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, मॉडर्ना कंपनी के शेयर फरवरी के बाद से तीन गुना से ज्यादा बढ़ गए हैं.
भारत में दो वैक्सीन का मानव ट्रायल शुरू
उधर कोरोना वैक्सीन तैयार करने की होड़ में भारत भी शामिल हो चुका है. देश के भारत बायोटेक और जायडस कैडिला की स्वदेसी वैक्सीन का मानव ट्रायल शुरू हो गया है. डॉक्टर बलराम भार्गव ने कहा कि स्वदेशी वैक्सीन को फास्टट्रैक कर जल्द-से-जल्द आम लोगों के लिए उपलब्ध कराने की हमारी नैतिक जिम्मेदारी है. अपने दो जुलाई की चिट्ठी में 15 अगस्त तक आम जनता के लिए स्वदेशी वैक्सीन उपलब्ध कराने की बात करने वाले डॉक्टर भार्गव ने अब इसके लिए किसी समय सीमा नहीं बताई. उन्होंने कहा कि दुनिया की 60 फीसद वैक्सीन भारत में बनती है और यही कारण है कि आज ‘दुनिया के सभी वैक्सीन बनाने वाले भारत के संपर्क में है.’ उन्होंने कहा कि दुनिया में कहीं भी, कोई भी वैक्सीन बने, उत्पादन के लिए उसे भारत पर निर्भर होना पड़ेगा.
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