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रेलवे द्वारा 471 करोड़ के ठेके को रद्द करने के फैसले पर दिल्ली HC पहुंची चीनी कंपनी

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सीमा पर जारी भारत-चीन गठजोड़ के कारण दोनों देशों के व्यापारिक संबंध भी खराब होते जा रहे हैं. हाल ही में भारतीय रेलवे के सार्वजनिक उपक्रमों ने काम की धीमी गति के कारण चीनी फर्म के सिग्नलिंग और दूरसंचार से संबंधित 471 करोड़ रुपये के ठेके को रद्द कर दिया था. अब इस मामले को लेकर चीनी फर्म ने रेलवे को अदालत में चुनौती दी है.

कानपुर से मुगलसराय के बीच 417 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर पर होने वाले कार्य का ठेका चीनी कंपनी को दिया गया था लेकिन बाद में रेलवे ने उसे रद्द कर दिया था. इस मामले में चीनी कंपनी ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया है. इस मामले में गुरुवार को सुनवाई हुई लेकिन अभी कोई फैसला नहीं आया है.

ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर को फंड कर रहे वर्ल्ड बैंक ने अभी तक टर्मिनेशन के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिया है. रेलवे ने विश्व बैंक का इंतजार नहीं करने और परियोजना को खुद ही फंड करने का फैसला किया है. डीएफसीसीआईएल के प्रबंध निदेशक अनुराग सचान ने शुक्रवार को कहा, ‘‘ यह निरस्तीकरण पत्र आज जारी किया गया.’’

चीनी कंपनी को इस परियोजना से बाहर निकालने का काम जनवरी 2019 में शुरू हुआ था. अधिकारियों ने कहा कि चीनी कंपनी को इस परियोजना से बाहर निकालने का काम जनवरी 2019 में शुरू हुआ था क्योंकि वह निर्धारित समयसीमा में काम नहीं कर पाई थी. उन्होंने कहा कि कंपनी तब तक महज 20 फीसद ही काम कर पाई थी. डीएफसीसीआईएल ने इस साल अप्रैल में विश्व बैंक को यह ठेका रद्द करने के अपने फैसले से अवगत कराया था.

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