खबर है कि अमेरिका ने ह्यूस्टन के चीनी महावाणिज्य दूतावास को बंद करने का आदेश दिया है. इसके लिए अमेरिका ने चीन को 72 घंटे का समय दिया है. इतने कम समय में महावाणिज्य दूतावास को खाली करने के आदेश से चीन के विदेश मंत्रालय में हड़कंप मच गया है. चीन के विदेश मंत्रालय ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है.
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि अमेरिका ने दूतावास बंद करने की मांग की थी. वांग ने कहा कि अमेरिका का ये कदम अभूतपूर्व तरीके से टकराव को बढ़ाने वाला है. उन्होंने ये भी कहा कि अमेरिका स्थित चीनी दूतावास और राजनयिकों को धमकियां भरे फोन भी आ रहे थे.
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तो चीन भी करेगा कार्रवाई
वांग ने कहा, चीन ये मांग करता है कि अमेरिका अपने इस फैसले को वापस ले. अगर अमेरिका इस पर आगे बढ़ता है तो चीन भी इसके जवाब में कार्रवाई करेगा. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि चीन ने अमेरिकी राजदूतों के प्रति सद्भावना दिखाई है और अमेरिका में उसके राजदूतों ने अमेरिका-चीन संबंधों को मजबूत किया है. इसके विपरीत अमेरिका ने जून महीने में चीनी राजदूतों पर बिना किसी वजह के तमाम तरह की पाबंदियां लगाईं. अमेरिका ने उनके मेल और आधिकारिक संदेश भी जब्त कर लिए थे.
चीनी राजदूतों को मिल रही धमकियां
वांग ने कहा कि अमेरिका की तरफ से जानबूझकर नफरत फैलाने वाले कदमों की वजह से अमेरिका में रह रहे चीनी राजदूतों को जान से मारने की धमकियां तक मिल रही हैं. वांग ने कहा, चीनी स्थित अमेरिकी दूतावास ने चीन पर हमला करते हुए तमाम आर्टिकल लिखे हैं. ये स्पष्ट होना चाहिए कि कौन किसकी घरेलू राजनीति में दखल दे रहा है और विवाद शुरू कर रहा है.
उन्होंने कहा, अमेरिका का दावा है कि चीन-अमेरिका के संबंधों में असंतुलन है, ये उनका हमेशा का बहाना रहता है जिसका कोई आधार ही नहीं है. वास्तव में, राजदूतों और राजनयिक संस्थाओं की संख्या की बात करें तो चीन के मुकाबले उनकी ही तादाद ज्यादा है.