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राम मंदिर के भूमि पूजन मुहूर्त को शंकराचार्य स्वरूपानंद ने बताया अशुभ घड़ी

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राम मंदिर के निर्माण को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. पांच अगस्त को राम मंदिर के लिए भूमि पूजन का मुहूर्त रखा गया है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित तमाम बड़े नेताओं को न्योता भेजा जाएगा. हालांकि इससे पहले कुछ विवाद शुरू होता दिखाई दे रहा है. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए होने वाले भूमि पूजन को लेकर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा है कि 5 अगस्त का मुहूर्त ठीक नहीं है. यह अशुभ मुहुर्त है.

शंकराचार्य ने कहा कि मंदिर के निर्माण में आम लोगों की इच्छाओं का ध्यान भी रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि वे राम भक्त हैं और अयोध्या में भव्य मंदिर के निर्माण के पक्षधर हैं. हालांकि, इस दौरान उनका दर्द भी सामने आया जब उन्होंने कहा कि उन्हें मंदिर का ट्रस्टी या अन्य किसी पद की इच्छा नहीं है.

चंपक राय ने अकेले भूमि पूजन क्यों किया

शंकराचार्य ने भूमि पूजन की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि चंपक राय ने गोपनीय तरीके से मंदिर का भूमि पूजन क्यों किया, इसकी जानकारी सामने आनी चाहिए. उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को भूमि पूजन के लिए अयोध्या जाएंगे, लेकिन इससे पहले चंपक राय ने अकेले भूमि पूजन क्यों कर दिया.

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उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि जब उन्होंने मंदिर निर्माण के लिए पैर आगे बढ़ाए थे तो उनको गिरफ्तार कर लिया गया था. शंकराचार्य ने कहा कि इस मुद्दे पर अक्सर राजनीति होती है. हिंदुओं के मुद्दे राजनीति के चलते खटाई में पड़ जाते हैं.

आज सनातनी समाज दुखी है

शंकरचार्य ने कहा कि हर छोटे-बड़े कार्य को शुभ मुहूर्त में सम्पन्न करने वाला सनातनी समाज आज दुखी है कि पूरे देश के करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र राम मन्दिर बिना शुभ मुहूर्त के आरंभ होने जा रहा है. जैसी कि श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के माध्यम से आगामी 5 अगस्त 2020 को शिलान्यास की घोषणा की गई है. उन्होंने कहा कि अगर अयोध्या में आराधना स्थल अर्थात् मंदिर बनाया जाना है तो उसे शुभ मुहूर्त में शास्त्र विधान के अनुसार ही बनाया जाना चाहिए. पर ऐसा न करके मनमानी किए जाने से यह आशंका स्पष्ट हो रही है कि वहां मंदिर नहीं संघ कार्यालय बनाया जा रहा है.

शंकरचार्य ने कहा कि विदित हो कि 5 अगस्त 2020 को दक्षिणायन भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है. शास्त्रों में भाद्रपद मास में गृह-मंदिरारंभ निषिद्ध है. स्मरण रहे कि काशी में विश्वनाथ मंदिर के आस-पास के मंदिरों को तोड़ते समय भी हमने चेताया था कि यह कार्य पूरे विश्व को समस्या में डालेगा पर बात अनसुनी करने का परिणाम सब लोग देख रहे हैं.

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