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गुजरात कैडर के पूर्व आईएएस गिरीश चंद्र मुर्मू बने नए CAG

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  • पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं मुर्मू
  • 1985 बैच के पूर्व आईएएस अधिकारी
  • मनोज सिन्हा बने J&K के उपराज्यपाल

जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपराज्यपाल और गुजरात कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी गिरीश चंद्र मुर्मू को नया नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) नियुक्त किया गया है.

मुर्मू को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है.

जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब गिरीश चंद्र ने उनके प्रधान सचिव के रूप में सेवाएं दी थीं. 1985 बैच के गुजरात कैडर के पूर्व आईएएस ऑफिसर गिरीश चंद्र मुर्मू को जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश के पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर चुने गए थे.

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क्या है सीएजी की भूमिका

सीएजी भारत के संविधान द्वारा स्थापित अथॉरिटी है और यह सरकार के प्रभाव क्षेत्र से बाहर है.
इसे सरकार की आमदनी और खर्च पर नजर रखने के लिए बनाया गया है.
सीएजी की नियुक्ति देश के राष्ट्रपति द्वारा होती है और पद से हटाने की प्रक्रिया वैसी ही है, जैसी सुप्रीम कोर्ट के जज के मामले में अपनाई जाती है.

विशेष मौके पर दिया इस्तीफा

1985 बैच के पूर्व आईएएस अधिकारी गिरीश चंद्र ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. मुर्मू का इस्तीफा ऐसे दिन आया है, जब (पूर्ववर्ती राज्य) जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त किए जाने का एक वर्ष पूरा हुआ है.

60 वर्षीय मुर्मू ने पिछले साल 29 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के पहले उपराज्यपाल के रूप में कार्यभार संभाला था.

मनोज सिन्हा पहुंचे जम्मू-कश्मीर

उधर नवनियुक्त उपराज्यपाल मनोज सिन्हा जम्मू-कश्मीर पहुंच गए हैं.

एयरपोर्ट पर पहुंचने के बाद उन्हें सलामी दी गई.

गौरतलब है कि आज ही पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं उत्तर प्रदेश से भाजपा के वरिष्ठ नेता मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर का नया उपराज्यपाल नियुक्त किया गया. वह पहले राजनेता हैं, जिन्हें इस केन्द्र शासित प्रदेश का उप राज्यपाल नियुक्त किया गया है.

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राष्ट्रपति के प्रेस सचिव अजय कुमार ने बताया कि राष्ट्रपति ने मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल नियुक्त किया है.
पदभार संभालने के दिन से यह नियक्ति प्रभावी होगी.

‘विकास पुरुष’ के नाम से मशहूर

मनोज सिन्हा का जन्म एक जुलाई 1959 को पूर्वी उत्तर प्रदेश में गाजीपुर जिले के मोहनपुर में हुआ था.
वह पूर्वी उत्तर प्रदेश के पिछड़े गांवों के विकास के लिए सक्रिय रूप से काम करते रहे हैं.
‘विकास पुरुष’ के नाम से विख्यात सिन्हा का राजनीतिक करियर 1982 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्र संघ का अध्यक्ष चुने जाने के साथ शुरू हुआ.

वह 1989 से 1996 तक भाजपा की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रहे. सिन्हा तीन बार लोकसभा सदस्य रहे हैं.
वह 1996 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए और उन्होंने 1999 में दोबारा जीत हासिल की.
2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने तीसरी बार जीत दर्ज की. इसी साल भाजपा ने केंद्र की सत्ता में वापसी की.
सिन्हा ने 2016 में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के तौर पर संचार मंत्रालय संभाला.

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