गुजरात में बढ़ते कोरोना वायरस के मामलों के बीच राज्य सरकार ने एक अहम फैसला किया है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री किशोर कनानी ने कहा है कि जिन डायमंड कारीगरों या मजदूरों का रैपिड कोरोना टेस्ट किया जाएगा, उनसे इसके लिए पैसा नहीं लिया जाएगा.
वर्तमान में रैपिड टेस्ट के लिए 750 रुपये लिया जाता है.
हालांकि रैपिड टेस्ट की शुल्क को लेकर उठे विवाद के बाद कनानी ने सूरत नगर निगम (एसएमसी) के अधिकारियों के साथ बैठक की.
मजदूरों को देना होगा 100 रु.
एसएमसी अब पंजीकृत निजी प्रयोगशालाओं में मजदूरों के टेस्ट के लिए भुगतान करेगी.
हालांकि मजदूरों को भी इसके लिए 100 रुपये का भुगतान करना होगा.
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मालूम हो कि सूरत ने कोरोना रैपिड टेस्ट की गति में वृद्धि की है.
जिले में हर दिन सबसे ज्यादा कोरोना के मामले दर्ज किए जा रहे हैं.
शुल्क को लेकर विरोध
कई लोगों ने रैपिड टेस्ट के लिए हीरे और कपड़ा श्रमिकों से लिए जा रहे शुल्क का विरोध किया था.
इसके बाद इस समस्या का समाधान निकालने के लिए स्वास्थ्य मंत्री, एसएमसी अधिकारियों और हीरा और कपड़ा उद्योगों के प्रतिनिधियों की एक बैठक हुई. मंत्री ने एसएमसी से कहा कि वह कोरोना के कारण मंदी का सामना कर रहे हीरे के कारीगरों से रैपिड टेस्ट के लिए शुल्क ना ले. मामले की जानकारी रखने वालों ने बताया कि मंत्री इस मुद्दे को राजनीतिक विवाद में नहीं डालना चाहते थे.
इसलिए ये फैसला किया गया.
यह निर्णय लिया गया कि एसएमसी मुफ्त में कोरोना टेस्ट करेगा और यदि यह एक निजी प्रयोगशाला में किया जाता है तो मजदूरों और श्रमिकों को टेस्ट की लागत के रूप में 100 रुपये का भुगतान करना होगा.
गौरतलब है कि कई प्रवासी मजदूर अनलॉक 3.0 के बाद सूरत लौट रहे हैं.
ऐसे में एसएमसी कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए उनका टेस्ट करना चाहता है.
हीरा उद्योग को लगा है झटका
कोरोना की वजह से सूरत में हीरा उद्योग को तगड़ा झटका लगा है.
उद्योग ने 31 जुलाई तक स्वैच्छिक रूप से लॉकडाउन का फैसला किया था क्योंकि हीरे के श्रमिकों और व्यापारियों में संक्रमण का तेजी से फैलाव देखने को मिला था. अनलॉक 3.0 के तहत काम करने की अनुमति मिलने से पहले एसएमसी ने सूरत में हीरे के बाजार को भी बंद कर दिया था. यह माना जाता है कि सोशल डिस्टेंसिंग की कमी और मास्क नहीं पहनने के कारण ही जिले में कोरोना संक्रमण की रफ्तार तेजी हुई.