यूनिक जेम्स कंपनी के 41 हीरे कारीगर सूरत में कोरोना रोगियों की मदद की खातिर अपना प्लाज्मा दान करने के लिए आगे आए हैं. इसके साथ ही राज्य में सूरत ऐसा जिला हो गया है जहां अब तक सबसे ज्यादा संक्रमितों ने प्लाज्मा दान किए हैं.
सूरत में अब तक 514 लोगों ने प्लाज्मा दान किया है.
इससे पहले सूरत रक्त और अंग दान के मामले में सबसे ऊपर था.
यूनीक जेम्स कंपनी के कर्मचारियों में से एक जयेश मोनपारा ने बताया कि उन्हें एक रिश्तेदार से प्लाज्मा के लिए फोन आया था. मोनपारा 30 जून को कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे. इसके बाद उन्होंने आइसोलेशन में रहकर कोरोना को मात दी थी.
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ठीक होने के 28 दिनों बाद उन्होंने अपना प्लाज़्मा दान किया. उन्हें पता चला कि प्लाज्मा डोनर्स को एंटीबॉडी टेस्ट से गुजरना पड़ता है.
उन्होंने एसएमआईएमईआर में प्लाज़्मा बैंक की डॉ. अंकिता शाह से बात की.
उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी 80 से अधिक कर्मचारी पहले ही अपना एंटीबॉडी टेस्ट करवा चुके हैं.
66 से ज्यादा में एंटीबॉडी टेस्ट
डॉ. शाह ने कहा कि उन्होंने यूनिक जेम्स के निदेशक दिलीप केवडिया से संपर्क किया.
उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी में जिन 80 डायमंड कारीगरों का टेस्ट किया गया था उनमें से 66 से ज्यादा में रोग के लिए एंटीबॉडी विकसित हो गए थे.
केवडिया के मार्गदर्शन में कारीगरों अपना प्लाज्मा दान करने के लिए तैयार हो गए.
शुरुआत में 41 कारीगरों ने अपना प्लाज्मा दान किया और अन्य 25 जल्द ही दान करेंगे.
सावधानी के बावजूद आए 6 नए मामले
कंपनी में केवडिया के पार्टनर दर्शन सालिया ने कहा,
‘मई में रियायत के बाद उन्होंने फिर से कंपनी का काम शुरू कर दिया था.
इस दौरान श्रमिकों को थर्मल स्क्रीनिंग टेस्ट किया गया और सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखा गया.
इसके अलावा श्रमिकों ने मास्क पहना शुरू किया और उन्हें सैनिटाइज़र दिए किए गए थे.
इसके बावजूद छह और श्रमिक कोरोना संक्रमित पाए गए हैं.’
नतीजतन कंपनी को तीन सप्ताह के लिए बंद कर दिया गया था.
चूंकि कंपनी ने 14 जुलाई से काम करना शुरू किया, इसलिए यह उन श्रमिकों के स्वास्थ्य डेटा को इकट्ठा करना शुरू कर दिया, जिन्होंने बुखार और अन्य लक्षणों की सूचना दी थी.
कंपनी ने कराया एंटीबॉडी टेस्ट
कंपनी के खर्च पर उनका एंटीबॉडी टेस्ट कराया गया.
यह पता चला कि 80 से अधिक हीरे के पॉलिशरों में पहले से ही एंटीबॉडी थे.
उन्होंने कहा कि पिछले एक महीने से श्रमिकों में से किसी ने भी बीमारी के कोई लक्षण नहीं दिखाए हैं. कोरोना को सफलतापूर्वक हराने वाले 38 वर्षीय प्लाज्मा डोनर विकास गोहिल ने कहा कि वह दूसरे मरीज की जान बचाने में मदद करके खुश हैं.
क्या है एंटीबॉडी टेस्ट
सरकार ने प्लाज्मा दान के लिए एक दिशानिर्देश जारी किया है जिसके तहत कोरोना से ठीक होने के 28 दिन बाद रोगी अपना प्लाज्मा दान कर सकते हैं.
लेकिन उन्हें एक एंटीबॉडी टेस्ट से गुजरना पड़ता है.
जिनमें IgG प्रकार के एंटीबॉडी विकसित हुए हैं केवल वे ही अपने प्लाज्मा दान कर सकते हैं.
डॉ. अंकिता शाह ने कहा,
एंटीबॉडी टेस्ट किसी व्यक्ति के शरीर में IgG एंटीबॉडी की उपस्थिति और स्तर को जानने की अनुमति देता है. एंटीबॉडी एक प्रकार का प्रोटीन है जो शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करता है.