- जुलाई में 50 लाख लोगों ने गंवाई नौकरी
- सीएमआईई के सर्वे से खुलासा
- पिछले सप्ताह बेरोजगारी दर रही 9.1%
कोरोना महामारी ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है. नौकरीपेशा लोगों पर इसका सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिला है. एक ओर जहां करोड़ों लोगों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर जो लोग नौकरी कर रहे हैं, उनके वेतन में कटौती की जा रही है.
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के अनुसार, लॉकडाउन के दौरान अप्रैल से अब तक 1.89 करोड़ लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है.
आंकड़ों के मुताबिक, पिछले महीने यानी जुलाई में कराब 50 लाख लोगों ने अपनी नौकरी गंवाई है.
वहीं अप्रैल में बेरोजगारी का यह आंकड़ा 1.77 करोड़ और मई में करीब एक लाख है.
वहीं जून में करीब 39 लाख लोगों को नौकरी मिली.
क्या कहते हैं अनुमान
एक अनुमानों के अनुसार, भारत में कुल रोजगार में वेतनभोगी रोजगार का हिस्सा सिर्फ 21 फीसदी है. अप्रैल में जितने लोग बेरोजगार हुए, उनमें इनकी संख्या केवल 15 फीसदी थी.
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इतना ही नहीं, कोरोना काल में कई क्षेत्रों की कंपनियों ने कर्मचारियों के वेतन में भी कटौती की. वहीं कई कर्मचारियों को बिना भुगतान के छुट्टी पर भेज दिया गया.
बेरोजगारी दर में भारी उछाल
वहीं भारत में कल बेरोजगारी दर गत 16 अगस्त को समाप्त सप्ताह में नौ सप्ताह के शीर्ष पर पहुंच गई.
ये आकंड़े अर्थशास्त्रियों के इस तर्क के बिल्कुल सटीक बैठते हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि बेरोजगारी में आई पिछली गिरावट कृषि गतिविधियों में गिरावट की वजह से थी और यह गिरावट अस्थाई प्रकृति की थी. पिछले सप्ताह राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 9.1 फीसदी तक पहुंच गई जो 9 अगस्त को समाप्त सप्ताह में 8.67 फीसदी पर थी.
यह पिछले नौ सप्ताह का सबसे तेज आंकड़ा है.
गत 14 जून के बाद एक बार फिर बेरोजगारी दर ने इस स्तर को पार किया है.
सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक यह दर पूरे जुलाई महीने की सकल बेरोजगारी दर 7.43 फीसदी से भी ज्यादा है.
कोविड 19 के देश में पैर फैलाने से पहले दर्ज मासिक बेरोजगारी दर से भी अधिक है.