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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, विश्वविद्यालयों में फाइनल ईयर का होगा एग्जाम

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  • Supreme Court (सुप्रीम कोर्ट) का अंतिम वर्ष की परीक्षा को लेकर बड़ा फैसला
  • बिना परीक्षा अंतिम वर्ष के छात्रों को नहीं किया जा सकता पास
  • यूजीसी की दिशा-निर्देश पर सुप्रीम कोर्ट का मुहर

कोरोना संकटकाल के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों देश की दो अहम जेईई और नीट परीक्षा आयोजित करने को लेकर अपना फैसला सुना चुकी है.

ऐसे में जानकारी आ रही है कि अब सुप्रीम कोर्ट ने विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षा आयोजित करने को हरी झंडी दिखा दी है.

कोर्ट ने यूजीसी के दिशा-निर्देशों पर मुहर लगा दी है. इतना ही नहीं कोर्ट ने कहा कि यूजीसी की अनुमति के बिना राज्य परीक्षा को रद्द भी नहीं कर सकते.

बिना परीक्षा के छात्रों को पास नहीं किया जा सकता.

विश्वविद्यालयों में होने वाली अंतिम वर्ष की परीक्षा को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी

यूजीसी ने छह जुलाई को देशभर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को अनिवार्य रूप से 30 सितंबर 2020 तक पूरा करने को लेकर एक सर्कुलर जारी किया था.

जिसके खिलाफ देशभर के अलग-अलग संस्थानों के कई छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की गई थी कि देश में कोरोना के बढ़ते आतंक की वजह से अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को रद्द कर दिया जाए. लेकिन आज सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है.

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Supreme Court (सुप्रीम कोर्ट) ने कहा छात्र तय नहीं कर सकते परीक्षा रद्द हो

जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई वाली बेंच ने मामले को लेकर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि यह छात्रों के भविष्य से जुड़ा मामला है. छात्र यह तय करने के काबिल नहीं हैं इसके लिए इसके लिए वैधानिक संस्था है.

अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की पीठ ने सुनवाई के दौरान सरकार से पूछा कि क्या यूजीसी के आदेश और निर्देश में सरकार दखल दे सकती है.

30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं

Supreme Court (सुप्रीम कोर्ट)  ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, राज्य और विश्वविद्यालय 30 सितंबर तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं आयोजित किए बिना छात्रों को पास नहीं कर सकते. जो राज्य इस दौरान परीक्षा कराने के इच्छुक नहीं हैं. उन्हें इसकी जानकारी यूजीसी को इसकी जानकारी देनी होगी.

शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में यूजीसी के 6 जुलाई के सर्कुलर को सही ठहराते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत राज्य महामारी को ध्यान में रखते हुए परीक्षा स्थगित कर सकते हैं.

लेकिन उन्हें यूजीसी के साथ सलाह मशविरा करके नई तिथियां तय करनी होंगी.

 

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