देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) के निधन से शोक का माहौल है. प्रणब मुखर्जी के निधन के बाद केंद्र सरकार ने 7 दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है. वहीं पूर्ण राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) के निधन के बाद रायसीना हिल्स पर झंडे झुका दिए गए हैं.
पिछले कई दिनों से बड़े डॉक्टर उनकी निगरानी कर रहे थे, लेकिन लगातार उनकी तबीयत बिगड़ती चली गई थी. इसके बाद सोमवार को उन्होंने अंतिम सांस ली.
84 साल के प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) साल 2012 में देश के राष्ट्रपति बने थे, 2017 तक वो राष्ट्रपति रहे. साल 2019 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.
लंबे समय से बीमार थे मुखर्जी
मुखर्जी ने सैन्य अस्पताल में अंतिम सांस ली. उन्हें 10 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और आज सुबह जारी एक स्वास्थ्य बुलेटिन में कहा गया था कि वह गहरे कोमा में हैं और उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया है. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे.
वो पिछले कई दिनों से बीमार थे और दिल्ली के आर्मी अस्पताल में भर्ती थे. बीते दिनों प्रणब मुखर्जी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, उनकी सर्जरी भी हुई थी. प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट कर प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) के निधन की जानकारी दी.
With a Heavy Heart , this is to inform you that my father Shri #PranabMukherjee has just passed away inspite of the best efforts of Doctors of RR Hospital & prayers ,duas & prarthanas from people throughout India !
I thank all of You 🙏— Abhijit Mukherjee (@ABHIJIT_LS) August 31, 2020
शोक संदेशों का लगा तांता
वहीं पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) के निधन से ट्विटर पर शोक संदेश देने वालों का तांता लग गया है.
नेता से लेकर अभिनेता और आम से लेकर खास तक, सभी उनके निधन पर दुख जता रहे हैं.
देश के मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी शोक जताया है.
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर प्रणब मुखर्जी के निधन पर दुख जताया. उन्होंने कहा पूर्व राष्ट्रपति के महत्वपूर्ण योगदार को देश याद रखेगा. उनका सम्मान हर एक वर्ग में था.
उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट किया कि भारी मन से आपको सूचित करना है कि मेरे पिता श्री प्रणब मुखर्जी का अभी कुछ समय पहले निधन हो गया. आरआर अस्पताल के डॉक्टरों के सर्वोत्तम प्रयासों और पूरे भारत के लोगों की प्रार्थनाओं और दुआओं के लिए मैं आप सभी को हाथ जोड़कर धन्यवाद देता हूं.
वहीं गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने भी पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर अपनी संवेदना व्यक्त की है.
भारत के पूर्व राष्ट्रपति,भारत रत्न,मृदु भाषी, दलगत राजनीति से परे,सबको सम्मान देने वाले श्री प्रणब दा @CitiznMukherjee जी का निधन हो गया।देश ने एक कुशल राजनीतिज्ञ व मार्गदर्शक खो दिया,यह हमारे राष्ट्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है ।
ईश्वर पुण्यात्मा को देवलोक में स्थान दें।
ॐ शांति। pic.twitter.com/EFpiDkjxE3— Vijay Rupani (@vijayrupanibjp) August 31, 2020
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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने गहरा दुख व्यक्त किया है.
गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) के निधन पर दुख व्यक्त किया. उन्होंने लिखा कि भारत रत्न प्रणब मुखर्जी एक शानदार नेता थे, जिन्होंने देश की सेवा की. प्रणब जी का राजनीतिक करियर पूरे देश के लिए गर्व की बात है. अमित शाह ने लिखा कि प्रणब मुखर्जी ने अपने जीवन में देश की सेवा की, उनके निधन के बाद देश के सार्वजनिक जीवन को बड़ी क्षति हुई है.
Pranab Da’s life will always be cherished for his impeccable service and indelible contribution to our motherland. His demise has left a huge void in Indian polity. My sincerest condolences are with his family and followers on this irreparable loss. Om Shanti Shanti Shanti
— Amit Shah (@AmitShah) August 31, 2020
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने ट्वीट कर प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) के निधन पर दुख जताया. नेपाल ने अच्छे दोस्त को खो दिया है. भारत और नेपाल के संबंधों को मजबूत बनाने में उनका बहुत बड़ा योगदान है.
I am deeply saddened by the news of passing away of former President of India H.E. Pranab Mukherjee. Heartfelt condolences to the government and people of India as well as the bereaved family members. pic.twitter.com/1EpkvIWzvg
— KP Sharma Oli (@PM_Nepal) August 31, 2020
इतिहास से जुड़ा है प्रणब दा का नाम
प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) को उनकी विद्वत्ता और शालीन व्यक्तित्व के लिए याद किया जाएगा, लेकिन कठोर फैसले लेने से भी उन्होंने कभी गुरेज नहीं किया. राष्ट्रपति के रूप में उनके कार्यकाल की अहम बात ये थी कि उन्होंने दया याचिकाओं को लेकर भरपूर सख्ती अपनाई. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 97 फीसदी दया याचिकाएं खारिज की थीं.
प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) से ज्यादा दया याचिकाएं सिर्फ आर वेंकटरमण ने ही खारिज की थीं. आर वेंकटरमण 1987 से लेकर 1992 तक राष्ट्रपति रहे. इस दौरान उन्होंने कुल 44 दया याचिकाएं खारिज कर थीं. उनके बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का ही नंबर आता है जिन्होंने 37 प्रार्थियों से जुड़ी 28 दया याचिकाओं को खारिज कर दिया. प्रणब से पहले राष्ट्रपति रहीं प्रतिभा पाटिल ने सबसे ज्यादा 30 लोगों को फांसी के फंदे से बचाया था. प्रणब ने सिर्फ 7 फांसी की सजा माफ कीं.
प्रणब मुखर्जी की मुहर से ही तीन आतंकियों को फांसी की सजा मिली. इनमें संसद पर हमले का आरोपी अफजल गुरु, मुंबई हमले का आरोपी अजमल कसाब और मुंबई धमाकों का आरोपी याकूब मेनन शामिल है.