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पूरे राजकीय सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन हुए प्रणब मुखर्जी

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देश के पूर्व राष्ट्रपति भारत रत्न प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) आज पूरे राजकीय सम्मान के साथ लोधी श्मशान घाट पर पंचतत्व में विलीन हो गए. इससे पहले उनके पार्थिव शरीर को आर्मी हॉस्पिटल (आरएंडआर) से 10, राजाजी मार्ग स्थित उनके सरकारी आवास में लाया गया.

इससे पहले पूरे देश ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह समेत कई बड़े नेताओं ने उनके घर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की.

देश के 13वें राष्ट्रपति के पार्थिव शरीर को सेना के आर एंड आर अस्पताल से सुबह 9.30 बजे लाया गया और दोपहर 2 बजे लोधी श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया गया.

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प्रणब दा (Pranab Mukherjee) को अंतिम विदाई के दौरान उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी और बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी मौजूद रहीं. शवदाह गृह में मौजूद सभी लोगों ने अपने प्रिय नेता की विदाई के दौरान प्रणब दा अमर रहें के नारे भी लगाए.

उनके अंतिम संस्कार से पहले उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी ने सभी प्रक्रियाएं पूरी कीं.

प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) कोरोना पॉजिटिव थे.  इस वजह से उनके अंतिम संस्कार में कम ही लोग शामिल हुए. सभी लोग पीपीई किट में नजर आए.

कई हस्तियों ने दी श्रद्धांजलि

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, सीडीएस बिपिन रावत, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, स्पीकर ओम बिड़ला, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, शशि थरूर, अधीर रंजन चौधरी, सीपीआई महासचिव डी. राजा, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कई अन्य ने भी दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि दी.

पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न प्रणब मुखर्जी के निवास स्थान 10 राजाजी मार्ग पर सीडीएस जनरल बिपिन रावत के साथ तीनों सेना के प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया और नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने भी श्रद्धांजलि दी.

कल हुआ था निधन

84 वर्षीय प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) का सोमवार शाम को निधन हो गया था. लंबे समय तक राजनीति में सक्रिय रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता मुखर्जी को रक्त का थक्का बनने की समस्या के बाद 10 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. ब्रेन सर्जरी के बाद उनकी हालत गंभीर हो गई और वह जांच में कोरोना पॉजिटिव भी निकले थे.

प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) 2012 से 2017 तक भारत के राष्ट्रपति रहे. उन्हें 2019 में भारत रत्न और 2008 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.

देश में 7 दिनों का राष्ट्रीय शोक

प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) के निधन के बाद केंद्र सरकार ने 7 दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है. वहीं पूर्ण राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) के निधन के बाद रायसीना हिल्स पर झंडे झुका दिए गए हैं.

उनके निधन पर देश से लेकर विदेशों में मायूसी छाई हुई है. कई देशों के नेता पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर शोक जाहिर कर रहे हैं.

इतिहास पुरुष थे प्रणब दा

मुखर्जी को उनकी विद्वत्ता और शालीन व्यक्तित्व के लिए याद किया जाएगा, लेकिन कठोर फैसले लेने से भी उन्होंने कभी गुरेज नहीं किया. राष्ट्रपति के रूप में उनके कार्यकाल की अहम बात ये थी कि उन्होंने दया याचिकाओं को लेकर भरपूर सख्ती अपनाई. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 97 फीसदी दया याचिकाएं खारिज की थीं.

प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) से ज्यादा दया याचिकाएं सिर्फ आर वेंकटरमण ने ही खारिज की थीं. आर वेंकटरमण 1987 से लेकर 1992 तक राष्ट्रपति रहे. इस दौरान उन्होंने कुल 44 दया याचिकाएं खारिज कर थीं. उनके बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का ही नंबर आता है जिन्होंने 37 प्रार्थियों से जुड़ी 28 दया याचिकाओं को खारिज कर दिया. प्रणब से पहले राष्ट्रपति रहीं प्रतिभा पाटिल ने सबसे ज्यादा 30 लोगों को फांसी के फंदे से बचाया था. प्रणब ने सिर्फ 7 फांसी की सजा माफ कीं.

प्रणब मुखर्जी की मुहर से ही तीन आतंकियों को फांसी की सजा मिली. इनमें संसद पर हमले का आरोपी अफजल गुरु, मुंबई हमले का आरोपी अजमल कसाब और मुंबई धमाकों का आरोपी याकूब मेनन शामिल है.

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