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युवाओं के समस्याओं का समाधान करे मोदी सरकार: राहुल गांधी

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कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने एक बार फिर रोजगार का मसला उठाया. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने बेरोजगारी की स्थिति और कर्मचारी चयन आयोग तथा कुछ अन्य परीक्षाओं के परिणाम में कथित विलंब को लेकर शुक्रवार को मोदी सरकार पर निशाना साधा.

राहुल (Rahul Gandhi) ने शुक्रवार को ट्वीट करते हुए कहा कि मोदी सरकार रोजगार, बहाली, परीक्षा के परिणाम दो, देश के युवाओं की समस्या का समाधान दो. इससे पहले राहुल (Rahul Gandhi) ने जीडीपी का मसला उठाते हुए मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की थी.

 

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने एक खबर के लिंक के साथ ट्वीट किया, ‘‘मोदी सरकार, रोज़गार, बहाली, परीक्षा के परिणाम दो, देश के युवाओं की समस्या का समाधान दो.”

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प्रियंका ने भी साधा निशाना

इसी मुद्दे को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘2017-एसएससी सीजीएल (संयुक्त स्नातक स्तर) की भर्तियों में अभी तक नियुक्ति नहीं हुई. 2018- सीजीएल परीक्षा का परिणाम तक नहीं आया. 2019- सीजीएल की परीक्षा ही नहीं हुई. 2020- एसएससी सीजीएल की भर्तियां निकाली ही नहीं.”

 

राहुल पहले भी उठा चुके हैं सवाल

इससे पहले राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कहा था कि मोदी जी का ‘कैश-मुक्त’ भारत दरअसल ‘मज़दूर-किसान-छोटा व्यापारी’ मुक्त भारत है. जो पांसा 8 नवंबर 2016 को फेंका गया था, उसका एक भयानक नतीजा 31 अगस्त 2020 को सामने आया. जीडीपी में गिरावट के अलावा नोटबंदी ने देश की असंगठित अर्थव्यवस्था को कैसे तोड़ा ये जानने के लिए मेरा वीडियो देखिए.

 

इससे पहले दो सितंबर को एक ट्वीट में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने मोदी सरकार की 6 खामियों को प्वाइंट आउट किया था.

 

सुरजेवाला का वार

इसके अलावा कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी मोदी सरकार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी. उन्होंने कहा, ‘नौकरीपेशा व मध्यमवर्ग पर रोज़ पड़ती मार, ये 40 करोड़ लोग बदहाली के शिकार! EMI भुगतान का समय 31 अगस्त, 2020 से आगे न बढ़ा तथा लॉकडाऊन के दौरान EMI पर ब्याज वसूलने का निर्णय मोदी सरकार ने 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में कहा. सारी उम्मीदें टूट गईं. यह जले पर घाव नहीं तो क्या है?’

साथ ही उन्होंने गरीबों को लेकर भी मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की.

 

रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ’73 साल में पहली बार ‘अर्थव्यवस्था और आम आदमी’, दोनों की कमर तोड़ी है. देश ‘आर्थिक तबाही व वित्तीय आपातकाल’ में धकेल रहे हैं. धड़ाम से गिरी GDP इसका सबूत है. ‘नोटबंदी-जीएसटी-देशबंदी’ मास्टर स्ट्रोक नहीं, असल में हैं ‘डिज़ास्टर स्ट्रोक’ थे.’

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