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सीमा मसले पर विपक्ष का वॉकआउट, रक्षा मंत्री ने कहा- चीन को भारी नुकसान हुआ

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भारत-चीन सीमा विवाद की गूंज संसद में भी सुनाई दी. सीमा विवाद को लेकर एक तरफ जहां रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने आज लोकसभा में बयान दिया तो वहीं विपक्ष ने जवाब की मांग के साथ वॉकआउट किया. इस दौरान रक्षा मंत्री सिंह (Rajnath Singh) ने कहा कि सीमा विवाद एक गंभीर मुद्दा है. दोनों देश शांति पर सहमत हैं. शांतिपूर्ण बातचीत से ही हल निकलेगा.

राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने कहा कि चीन ने कई बार स्टेटस बदलने का प्रयास किया, हमारे जवानों ने इसे असफल कर दिया. गलवान घाटी में हुए संघर्ष में चीन को काफी नुकसान हुआ है.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने संसद के निचले सदन लोकसभा में लद्दाख मसले को लेकर सीमा पर बने तनाव के बारे में विस्तृत रूप से बयान दिया है.

राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने कहा, ”सरकार की विभिन्न खुफिया एजेंसियों के बीच समन्वय का एक विस्तृत और समय परीक्षण तंत्र है, जिसमें केंद्रीय केंद्रीय पुलिस बल और तीनों सशस्त्र बल की खुफिया एजेंसियां शामिल हैं. माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हाल ही में लद्दाख का दौरा कर हमारे बहादुर जवानों से मुलाकात की और उन्होंने यह संदेश भी दिया था कि समस्त देशवासी अपने वीर जवानों के साथ खड़े हैं.”

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा.

हमारे सुरक्षाबल हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं. हम उनके साथ मजबूती से खड़े हैं. 15 जून को हमारे जवानों ने स्टेटस बदलने के प्रयास को असफल कर दिया. जवानों ने बलिदान दिया है. चीन को भी भारी नुकसान हुआ. चीन की ये कोशिश हमें मंजूर नहीं है. दोनों देशों को LAC का सम्मान करना चाहिए.

चीन ने इक्कठे किए हैं हथियार

राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने बताया, ”चीन ने एलएसी और आंतरिक क्षेत्रों में बड़ी संख्या में सेना की तैनाती की है और हथियार इकट्ठा किए हैं. पूर्वी लद्दाख, गोगरा, कोंगका ला, पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण बैंकों में कई फ्रिक्शन प्वाइंट हैं. भारतीय सेना ने भी इन क्षेत्रों में भारी तैनाती की है.”

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रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने कहा कि इस वर्ष की स्थिति, वह पहले से बहुत अलग है, फिर भी हम मौजूदा स्थिति के शांतिपूर्ण समाधान के प्रति प्रतिबद्ध हैं. इसके साथ-साथ मैं सदन को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम सभी परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार हैं.

उन्होंने कहा कि एलएसी के ऊपर प्रिक्शन बढ़ता हुआ देखकर दोनों तरफ के सैन्य कमांडरों ने 6 जून 2020 को मीटिंग की और इस बात पर सहमति बनी कि रेसीप्रोकल एक्शंस के जरिए डिसइंगेजमेंट किया जाए. राजनाथ सिंह ने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर समहत हुए कि एलएसी को माना जाएगा और कोई भी ऐसी कार्रवाई नहीं की जाएगी जिससे यथास्थिति बदले.

रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन की तरफ से 29 और 30 अगस्त की रात को सैनिक कार्रवाई की गई. जो पेंगोंग लेक के साउथ बैंक एरिया में यथास्थिति को बदलने का प्रयास था. लेकिन एक बार फिर हमारी आर्म्स फोर्सेज की तरफ से उनके प्रयास विफल कर दिए गए.

बाउंड्री एग्रीमेंट पर सवाल

राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने कहा, ”यह सदन अवगत है चीन, भारत की करीब 38,000 स्क्वायर किलोमीटर भूमि का अनधिकृत कब्जा लद्दाख में किए हुए है. इसके अलावा 1963 में एक तथाकथित बाउंडरी एग्रीमेंट के तहत, पाकिस्तान ने PoK की 5180 स्क्वायर किलोमीटर भारतीय जमीन अवैध रूप से चीन को सौंप दी है.”

राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने कहा कि एलएसी का सम्मान करना और उसका कड़ाई से पालन किया जाना, सीमा क्षेत्रों में शांति और सद्भाव का आधार है, और इसे 1993 एवं 1996 के समझौतों में स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया है,  जबकि हमारी सेना इसका पूरी तरह पालन करती हैं, लेकिन चीन की ओर से ऐसा नहीं हुआ है.

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