रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 69वीं बार ‘मन की बात’ (Mann Ki Baat) कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित किया. अपने संबोधन में पीएम ने लोगों को कोरोना से बचाव में पूरी सावधानी रखने की सलाह दी. साथ ही बच्चों को कहानी सुनाने की परंपरा खत्म होने पर चिंता जताई.
इसके अलावा (Mann Ki Baat) कार्यक्रम के दौरान उन्होंने किसानों को भरोसा दिया कि कृषि बिलों से उनका नुकसान नहीं, फायदा होगा. अंत में महात्मा गांधी, लालबहादुर शास्त्री, जयप्रकाश नारायण और राजमाता सिंधिया के योगदान को याद किया. इन सभी हस्तियों का अगले महीने जन्मदिवस आने वाला है.
यह भी पढ़ें: कोरोना की चपेट में आईं उमा भारती, उत्तराखंड के दौरे पर हैं MP की पूर्व सीएम
अपने सप्ताहित कार्यक्रम ‘मन की बात’ (Mann Ki Baat) कार्यक्रम में पीएम ने कहा,हमारे यहां कहा जाता है कि जमीन से जुड़ा व्यक्ति बड़े से बड़े तूफानों में अडिग रहता है. कोरोना के संकट काल में किसानों ने दमखम दिखाया है. ये मजबूत होंगे तो आत्मनिर्भर भारत की नींव मजबूत होगी.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,
“गेहूं, धान, गन्ना या किसी भी फसल को जहां मर्जी हो, वहां बेचने की ताकत मिल गई है. पुणे, मुंबई में किसान साप्ताहिक बाजार खुद चला रहे हैं. इसका सीधा लाभ होता है. नए किसान बिल से किसानों को फायदा होगा. जहां अच्छे दाम मिलेंगे, किसान वहीं फल-सब्जियां बेचेगा“
‘मन की बात’ (Mann Ki Baat) कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने कोरोना काल में दो गज की दूरी की अहमियत बताई. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि दुनिया परिवर्तन के दौर से गुजर रही है. इस संकट में परिवार के सदस्यों को आपस में जोड़ने और करीब लाने का काम किया है.
प्रधानमंत्री ने कहा,
”कोरोना के इस कालखंड में पूरी दुनिया अनेक परिवर्तनों के दौर से गुजर रही है. आज, जब दो गज की दूरी एक अनिवार्य जरूरत बन गई है, तो इसी संकट काल ने, परिवार के सदस्यों को आपस में जोड़ने और करीब लाने का काम भी किया है.”
स्टोरी टेलिंग के महत्य को बताया
‘मन की बात’ (Mann Ki Baat) के दौरान प्रधानमंत्री ने Story Telling यानी कहानी सुनाने के महत्व को भी बताया. पीएम ने कहा, ”इतने लम्बे समय तक, एक साथ रहना, कैसे रहना, समय कैसे बिताना, हर पल खुशी भरी कैसे हो ? तो, कई परिवारों को दिक्कतें आई और उसका कारण था, कि, जो हमारी परम्पराएं थी, जो परिवार में एक प्रकार से संस्कार सरिता के रूप में चलती थी, उसकी कमी महसूस हो रही है.”
उन्होने कहा कि ऐसा लग रहा है, कि, बहुत से परिवार है जहां से ये सब कुछ खत्म हो चुका है, और, इसके कारण, उस कमी के रहते हुए, इस संकट के काल को बिताना भी परिवारों के लिए थोड़ा मुश्किल हो गया. उसमें एक महत्वपूर्ण बात क्या थी? हर परिवार में कोई-न-कोई बुजुर्ग, बड़े व्यक्ति परिवार के, कहानियाँ सुनाया करते थे और घर में नई प्रेरणा, नई ऊर्जा भर देते हैं.
पीएम ने कहा,
”हमें, जरूर एहसास हुआ होगा कि हमारे पूर्वजों ने जो विधायें बनाई थीं, वो आज भी कितनी महत्वपूर्ण हैं और जब नहीं होती हैं तो कितनी कमी महसूस होती है. ऐसी ही एक विधा जैसा मैंने कहा, कहानी सुनाने की कला story telling. कहानियों का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी कि मानव सभ्यता. कहानियाँ, लोगों के रचनात्मक और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती हैं, उसे प्रकट करती हैं.”
भगत सिंह को किया याद
इसके अलावा पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ (Mann Ki Baat) कार्यक्रम के दौरान देश के शहीदों को याद किया. उन्होंने कहा कि 1919 में जलियांवाला हत्याकांड के बाद एक बच्चा वहां गया. बच्चा स्तब्ध था कि कोई ऐसा कैसे कर सकता है? उसने अंग्रेजी साम्राज्य को उखाड़ फेंकने की कसम खाई. वह बच्चा महान शहीद भगत सिंह थे. कल 28 सितंबर को उनकी जयंती है. भगत सिंह और उनके साथियों ने जिन कामों को अंजाम दिया, उनका आजादी की लड़ाई में अहम योगदान है. चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु, सुखदेव जैसे कई क्रांतिकारियों का एक ही मकसद था, भारत को आजाद कराना.