Gujarat Exclusive > देश-विदेश > किसानों ने 8 दिसंबर को किया भारत बंद का ऐलान, कल फिर सरकार से बातचीत

किसानों ने 8 दिसंबर को किया भारत बंद का ऐलान, कल फिर सरकार से बातचीत

0
631

कृषि कानूनों (Farmers Protest) को लेकर अब प्रदर्शनकारी किसान पूरे देश में अपना विरोध दर्ज कराना चाहते हैं. किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ (Farmers Protest) 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि कृषि कानूनों के खिलाफ 8 दिसंबर को भारत बंद बुलाया गया है.

साथ ही किसानों ने कहा है कि वे कल सरकार के साथ होनी वाली बैठक में भाग लेने के लिए जाएंगे. बता दें कि सरकार की ओर से बात बनती नहीं दिखने के बाद किसान यूनियन अपने आंदोलन (Farmers Protest) को तेज करना चाहते हैं.

यह भी पढ़ें: किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका, सड़क खाली करने की मांग

पीएम का जलाएंगे पुतला

भारतीय किसान यूनियन (BKU-Lakhowal) के महासचिव, एचएस लखोवाल ने कहा कि कल की बैठक में हमने सरकार से कहा कि कृषि कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए. 5 दिसंबर को देशभर में पीएम मोदी के पुतले जलाए जाएंगे. हमने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है.

सिंघु बॉर्डर पर हुई बैठक बाद किसान नेता हरिंदर पाल लखोवाल ने कहा,  हमने कल सरकार से कल बात की है. हमने साफ़ कहा है कि तीनों कानून वापस ले.” उन्होंने है कि सरकार बिजली कानून और पराली जलाने को लेकर जुर्माना पर मानती दिख रही है. लेकिन हम सभी किसानों को बोलते हैं कि वो यहां आएं,लड़ाई आर पार की है हम पीछे हटने वाले नहीं हैं. किसानों ने 8 दिसंबर (मंगलवार) को पूरे भारत में बंद का आह्वान किया है.

विधानसभा के बाहर होगा धरना

वहीं किसान नेताओं ने कहा है कि कर्नाटक में 7 दिसंबर से 15 दिसंबर तक विधानसभा के बाहर किसानों का धरना (Farmers Protest) होगा. बंगाल में रास्ता रोको आंदोलन (Farmers Protest) होगा. किसी सरकार में हिम्मत नहीं कि इस आंदोलन के आगे टिक जाए.

आंदोलन (Farmers Protest) कर रहे किसान नेताओं ने कहा कि आज तमिलनाडु में और कर्नाटक में हमारा प्रदर्शन था. अब इन किसानों को भी दिल्ली आने को बोल दिया. उन्होंने कहा कि पूरे देश के किसानों को दिल्ली आने का आह्वान किया. लड़ाई आर पार की होगी. पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठता.

बेअसर रही है बातचीत

मालूम हो कि कृषि कानूनों को लेकर गुरुवार को केंद्र सरकार के साथ हुई बातचीत को लेकर शुक्रवार को एक बार फिर एक बार फिर किसान संगठनों ने आपस में चर्चा की. बैठक के बाद संयुक्त किसान मोर्च की प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसानों ने बताया कि हमने मीटिंग में तय किया है कि तीनों कानून को रद्द करे बिना नहीं मानेंगे. उन्होंने बताया कि सरकार कुछ संशोधन करने को तैयार है लेकिन हमने सरकार से साफ कहा है कि सरकार तीनों कानून वापस ले.

गुजराती में ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें