देश की राजधानी दिल्ली स्थित एम्स (AIIMS) में नर्सों की अनिश्चितकालीन हड़ताल (AIIMS Nurses Strike) के चलते हॉस्पिटल प्रशासन को खासा मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. अस्पताल प्रशासन की ओर से नर्सों से काम पर वापस लौटने की अपील भी की गई है. इसी बीच हड़ताल के मद्देजनर AIIMS प्रशासन ने एक अहम फैसला लिया है. हड़ताल जारी रहने तक बाहर से नर्सों का इंतजाम करने का निर्णय लिया गया है.
करीब 170 नर्सों को बाहर से आउटसोर्स किया जाएगा. कॉन्ट्रैक्ट पर नार्सिंग स्टाफ की भर्ती करने के लिए एम्स (AIIMS) की ओर से विज्ञापन भी दिया गया था.
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विज्ञापन को लेकर AIIMS प्रशासन ने कहा कि प्रशासन कांट्रैक्ट पर नर्सों को रखने पर विचार नहीं कर रहा था. पिछले दो दिनों से नर्स हड़ताल पर हैं, जिसके चलते आपातकालीन योजना के तहत हम ऐसा करने पर मजबूर हैं एम्स का नर्सिंग संघ न काम कर रहा है और न ही काम करने दे रहा है.
चरमरा गई हैं स्वास्थ्य सेवाएं
देश के सबसे बड़े अस्पताल दिल्ली स्थित AIIMS में सोमवार दोपहर बाद से 5000 नर्सें हड़ताल पर चली गई हैं. हड़ताली नर्सों में महिला और पुरुष दोनों शामिल हैं. इससे अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से चरमरा गई हैं. कोरोना काल में नर्सों के हड़ताल ने परेशानी और बढ़ा दी है. मरीज परेशान हो रहे हैं और कई वार्ड में मरीजों की सुध लेने वाला कोई नहीं है.
क्या है नर्सों की मांग
हड़ताली नर्सों की मुख्य मांग छठे वेतन आयोग की वसंगतियों को दूर कर फिर वेतन गणना करना है. इससे उनके वेतन में अच्छा खासा इजाफा होगा. लेकिन एम्स (AIIMS) के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि नर्स संघों ने 23 मांगें रखी थीं और एम्स प्रशासन और सरकार ने उनमें से लगभग सभी मांगें मान ली हैं. उन्होंने कहा कि एक मांग मूल रूप से छठे वेतन आयोग के मुताबिक शुरुआती वेतन तय करने की विसंगति से जुड़ी हुई है.