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सिंघु बॉर्डर पर आज होगी 80 किसान संगठनों की बैठक, आगे की रणनीति पर होगी चर्चा

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केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लागू कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. आंदोलन कर रहे किसान कानून को रद्द करने की मांग पर डटे हुए हैं. किसानों के आंदोलन का आज 37 वां दिन है.

केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच अबतक कई दौर की बैठक हो चुकी है बावजूद इसके अभी तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है. Farmers organization meeting

इस बीच जानकारी सामने आ रही है कि किसानों के आंदोलन के कारण आज चिल्ला और गाजीपुर बॉर्डर पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. Farmers organization meeting

बैठक में आगे की रणनीति पर होगी चर्चा Farmers organization meeting

बीते दिनों किसान नेता और केंद्र सरकार के बीच सातवें दौर की बातचीत हुई थी. इस बैठक में किसानों की ओर से 4 प्रस्ताव रखे गए थे. बैठक में दो मुद्दों पर किसान और सरकार के बीच आपसी सहमति बनी थी.

लेकिन एमएसपी और कृषि कानून को लेकर बात नहीं बन पाई थी. इसलिए अगले दौर की बैठक 4 जनवरी को फिर से आयोजित की जाएगी. Farmers organization meeting

सरकार के साथ 8 वें दौर की बैठक से पहले आज सिंघु बॉर्डर पर 80 किसान संगठनों की बैठक आयोजित की जाएगी इस बैठक में आगे की रणनीति बनाई जाएगी. Farmers organization meeting

कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े किसान Farmers organization meeting

इस बीच जानकारी सामने आ रही है कि किसान नेताओं ने दो टूक कहा है कि एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी और नए कृषि कानूनों को रद्द करने का कोई विकल्प नहीं है. Farmers organization meeting

किसान और सरकार के बीच ठनी रार खत्म होने का नाम नहीं ले रही. राजधानी दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर डटे किसान पिछले 37 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं.

इस बीच जानकारी सामने आ रही है कि सरकार ने साफ कर दिया है कि कानून को रद्द नहीं किया जाएगा. हां संशोधन के लिए सरकार जरूर तैयारी दिखा रही है.

माना जा रहा था कि वक्त के साथ आंदोलन का असर भी धीरे-धीरे कम हो जाएगा लेकिन आंदोलन अपनी ऊंचाइयों की ओर बढ़ता ही जा रहा है. किसान संगठन के लोग आंदोलन को लेकर रणनीति के तहत काम कर रहे हैं.

लेकिन आंदोलन की वजह से देश को अरबों रुपए का नुकसान होने की उम्मीद जताई जा रही है. केंद्र सरकार कानून रद्द नहीं करने का मन बना चुकी है. Farmers organization meeting

वहीं किसान कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं. किसान परिवार सहित दिल्ली पहुंच रहे हैं और ट्रैक्टर की ट्रालियों को ही अपना स्थाई आशियाना बना लिया है.

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