लव जिहाद कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर आज कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कानून पर फौरन रोक लगाने से इनकार कर दिया. Supreme Court Love Jihad Law
कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को नोटिस भेजककर 4 हफ्तों में जवाब तलब किया है. कोर्ट ने इससे पहले याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट में जाने का निर्देश दिया था.
जिसके बाद याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि दो राज्यों में कानून बन चुका है और राज्य कानून बनाने की तैयारी में हैं.
सु्प्रीम कोर्ट लव जिहाद कानून की संवैधानिकता का करेगी जांच
जिसके बाद कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने के लिए राजी हुई और दोनों राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया. Supreme Court Love Jihad Law
कोर्ट दोनों राज्यों में लागू विवादास्पद कानूनों की समीक्षा करने पर राजी हो गया है. अब कोर्ट अब इन कानूनों की संवैधानिकता की जांच करेगा.
मामले की सुनवाई करते हुए हुए सीजेआई ने कहा कि जिन राज्यों में इस कानून को लागू किया गया है वहां की हाईकोर्ट में मामला लंबित है इसलिए अभी इस मामले पर कोई फैसला नहीं दे सकते.
लव जिहाद कानून पर रोक लगाने की मांग को लेकर याचिका Supreme Court Love Jihad Law
उल्लेखनीय है कि लव जिहाद कानून पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कुछ वकील, एनजीओ और एक कानून शोधकर्ता ने याचिका दाखिल की थी.
इस याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस कानून का दुरुपयोग किसी को भी गलत तरीके से फंसाने के लिए किया जा सकता है.
साथ ही ये भी आरोप है कि इसके जरिये सिर्फ अल्पसंख्यकों को टारगेट किया जा रहा है. Supreme Court Love Jihad Law
क्या होगी अब कानूनी प्रक्रिया
विवाह के लिए छल, कपट, प्रलोभन या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 साल के कारावास और जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है.
इसके अलावा इस कानून के मुताबिक, धर्म परिवर्तन के लिए जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी और यह बताना होगा कि धर्म परिवर्तन जबरन, दबाव डालकर, लालच देकर या किसी तरह के छल कपट से नहीं किया जा रहा है. Supreme Court Love Jihad Law
अनुमति से पहले 2 महीने का नोटिस देना होगा. ऐसा न करने पर 6 महीने से 3 साल तक की सजा होगी, वहीं कम से कम 10 हजार का जुर्माना भी देना होगा.
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