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शिवसेना की गुजराती मतदाताओं को रिझाने की कोशिश- ‘जलेबी ने फाफड़ा उद्धव ठाकरे आपड़ा’

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‘जलेबी ने फ़ाफड़ा उद्धव ठाकरे आपड़ा’- आगामी मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव को लेकर शिवसेना ने गुजरातियों (Gujarati) को मिलाने के लिए यह नया नारा दिया है. इस नारे के साथ शिव सेना ने बीते रविवार को मुंबई के जोगेश्वरी इलाक़े में एक गुजराती (Gujarati) सम्मेलन का आयोजन किया.

हालांकि, इस कार्यक्रम में शिव सेना के किसी दिग्गज नेता की उपस्थिति नहीं थी लेकिन इसे गुजरातियों (Gujarati) का दिल जीतने के प्रति पहला कदम माना जा रहा है. मालूम हो कि गुजरातियों के पसंदीदा नास्ते में जलेबी और फाफड़ा एक माना जाता है.

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बता दें कि मुंबई में गुजराती (Gujarati) समाज के लोग बड़ी संख्या में हैं जो भाजपा के कोर वोटर माने जाते हैं. दक्षिण मुंबई सहित पश्चिम और पूर्व उपनगरों में बड़ी तादात में गुजराती (Gujarati) समाज के लोग रहते हैं. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने और अमित शाह के गृहमंत्री बनने के बाद गुजराती समाज कट्टर भाजपा समर्थक बन चुका है. हालांकि भाजपा-शिवसेना गठबंधन में इस समाज का थोक में वोट शिवसेना को भी मिलता रहा है. लेकिन भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद गुजराती समाज शिवसेना से पूरी तरह कट गया है.

शिवसेना और गुजरातियों के रिश्ते

इतिहास पर नज़र डालें तो शिव सेना और गुजरातियों (Gujarati) के रिश्ते कड़वाहट से भरे रहे हैं. मुंबई को महाराष्ट्र में शामिल किए जाने के मसले को लेकर भी गुजरातियों और शिव सेना में संघर्ष हो चुका है. साल 2014 में शिव सेना के मुखपत्र सामना ने अपने सम्पादकीय के जरिए आरोप लगाया कि गुजराती सम्पत्ति अर्जित करने के लिए मुंबई का शोषण कर रहे हैं. बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का भी शिव सेना ने ये कहते हुए विरोध किया कि गुजरात को महाराष्ट्र से ज़्यादा स्टेशन मिल रहे हैं. वहीं गुजरातियों को साथ लेना शिव सेना की मजबूरी बन गयी है. सवाल वोटों का है.

2023 में होने हैं चुनाव

देश की सबसे अमीर नगरपालिका बीएमसी के चुनाव साल 2022 में होने हैं, लेकिन उसके लिए राजनीतिक दलों ने अभी से कमर कसनी शुरू कर दी है. इसके तहत शिवसेना ने भाजपा के कोर गुजराती मतदाताओं पर नजरें गड़ानी शुरू कर दी हैं. मुंबई महानगर पालिका में कुल 227 सीटें हैं। इनमें 50 से 52 सीटों पर गुजराती मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं. मुंबई में तकरीबन 30 लाख गुजराती रहते हैं.

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