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गुलबर्ग सोसाइटी दंगे में अपने 10 परिजनों को खोने वाले इम्तियाज खान AIMIM से जुड़े

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आकिब छीपा, अहमदाबाद: 28 फरवरी 2002 को गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार (Gulberg Society Riots) में अपने परिवार के 10 सदस्यों को खोने वाले इम्तियाज खान पठान अहमदाबाद में असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाले एआईएमआईएम से जुड़ गए. वे गुलबर्ग सोसाइटी दंगों के मामले में अभियोजन पक्ष के प्रमुख गवाह भी थे. Gulberg Society Riots Victim

गुजरात एक्सक्लूसिव से बात करते हुए इम्तियाज खान पठान ने कहा कि वे AIMIM में इसलिए शामिल हुए क्योंकि वह असदुद्दीन ओवैसी को एक शिक्षित व्यक्ति मानते हैं. उन्होंने कहा कि ओवैसी कई मुद्दों पर खुलकर बात करते हैं, जिनके बारे में कांग्रेस बात नहीं करती. Gulberg Society Riots

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पठान ने कहा,

”गुलबर्ग दंगों के पीड़ितों के साथ कांग्रेस के बर्ताव से मैं संतुष्ट नहीं हूं.”

पठान ने आगे कहा कि वे गुलबर्ग सोसाइटी दंगा मामले में आरोपियों की जमानत रद्द कराना चाहते थे. उन्होंने आरोप लगाया कि कई आरोपी जमानत पर बाहर हैं. उन्होंने कहा कि 2002 और 2014 के बीच जब यूपीए सत्ता में थी, तब उसने पीड़ितों का समर्थन करने के लिए कुछ खास नहीं किया. Gulberg Society Riots

इम्तियाज खान ने कहा,

“मैंने अपने समाज के सदस्यों और पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी के लिए प्रचार किया था, जो 2002 के दंगों में मारे गए थे.” 

नरसंहार की गहरी यादें

28 फरवरी 2002 की घटना को याद करते हुए इम्तियाज पठान ने कहा कि वे गुलबर्ग सोसाइटी के बंगला नं. 18 में थे जब हमलावरों ने उन पर हमला किया और उनके परिवार के 10 सदस्यों को मार डाला था. Gulberg Society Riots

उन्होंने कहा,

“मैंने सामूहिक हत्या, महिलाओं का बलात्कार देखा है. कई लोगों की बॉडी अब तक नहीं मिली हैं. मैंने अपने हाथों से गुलबर्ग सोसायटी के कई निवासियों के जले हुए अवशेषों को दफन किया था.”

बता दें कि अहमदाबाद के चमनपुरा इलाके में गुलबर्ग सोसायटी पर भीड़ द्वारा हमला करने के बाद 28 फरवरी, 2002 को पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी सहित करीब 68 लोगों की हत्या कर दी गई थी. Gulberg Society Riots

औवैसी ने किया था जिक्र

मालूम हो कि 7 फरवरी 2020 को असदुद्दीन ओवैसी ने अहमदाबाद में अपने भाषण में शाह आलम की घटना का जिक्र किया था. उन्होंने कहा कि वे 2002 के दंगों के दौरान गुजरात में शाह आलम राहत शिविर में 25 डॉक्टरों की एक टीम और 50 लाख की दवाईयों के साथ आए थे. उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने 2006 में वडोदरा में एक दरगाह के विध्वंस को लेकर हिंसक झड़पों के पीड़ितों को चिकित्सा सहायता प्रदान की थी.

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