Sardar Patel: लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म यूं तो नडियाद में हुआ था लेकिन राजनीतिक बिसात उन्होंने पहली बार अहमदाबाद से बिछानी शुरू की थी. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत नगर निगम की राजनीति से की. आजाद भारत से पहले वह अहमदाबाद के मेयर बने. Sardar Patel
सरदार पटेल 5 जनवरी 1917 को पहली बार अहमदाबाद नगर निगम के दरियापुर सीट से पार्षद का चुनाव जीता. इस चुनाव को उन्होंने महज एक वोट से जीता था. Sardar Patel
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सरदार पटेल ने अपने नजदीकी प्रतिद्वंदी गुलाम नरमावाला ने उनकी इस जीत को चुनौती दी और दोबारा वोटों की गिनती की मांग की लेकिन उनकी इस मांग का कोई फायदा नहीं हुआ. Sardar Patel
नगर निगम का चुनाव जीतने के बाद पटेल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 9 फरवरी 1924 को वह अहमदाबाद नगर निगम के मेयर बने और 13 अप्रैल 1928 तक अपने पद पर बने रहे. Sardar Patel
अहमदाबाद प्लेग से उबारने में भूमिका
दिसंबर, 1917 में अहमदाबाद में प्लेग फैल गया था. स्कूल, कचहरी बंद हो गए और ढेर सारे लोग शहर छोड़कर चले गए. अहमदाबाद की उस समय ख्याति वहां के कपड़ा उद्योग के कारण थी. प्लेग के कारण कपड़ा मिलों में सन्नाटा छा गया. मजदूरों को रोकने के लिए मिलों ने अलग से प्लेग एलाउंस दिए. Sardar Patel
पटेल उस समय गांधी के प्रभाव में आ चुके थे. उन्होंने व्यक्तिगत सुरक्षा की अनदेखी करते हुए, शहर छोड़ने से इनकार कर दिया. उस दौरान सरदार पटेल ने अहमदाबाद की गलियों में सीवर की सफाई कराई और प्लेग प्रभावित इलाकों में दवाओं का छिड़काव कराए थे. जब कोई मित्र उनके काम या उनकी सुरक्षा को लेकर तर्क करता था तो वह खामोशी से उसकी तरफ देखते थे. Sardar Patel
बता दें कि गुजरात के अहमदाबाद सहित कई शहरों में प्लेग से हजारों लोगों की मौत हुई थी. किसान 1915 के सूखे और 1917 में आई बाढ़ से तबाह थे. उसी समय खेड़ा के किसानों पर भारी मात्रा में टैक्स लाद दिया गया था, जबकि खेड़ा जिले में ही प्लेग से 18,067 लोगों की मौत हो चुकी थी. अहमदाबाद प्लेग के दौरान पटेल की सेहत पर भी बुरा असर पड़ा. लेकिन ये पहला मौका था, जब उनकी नेतृत्व क्षमता से लोग प्रभावित हुए. Sardar Patel