Freedom House ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भारत में आजादी के मसले को लेकर चिंता जाहिर की है. संस्था ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि साल 2014 में भारत में जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने है, उसके बाद से ही राजनीतिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता में कमी आई है.
Freedom House की रिपोर्ट में भारत में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा, पत्रकारों को डराने और न्यायिक हस्तक्षेप को बढ़ाने की तरफ इशारा किया गया है.
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Freedom House ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट में भारत को डाउनग्रेड करते हुए ‘स्वतंत्र’ देश से ‘आंशिक रूप से स्वतंत्र’ के रूप में कर दिया है. ताजा रिपोर्ट में संस्था ने भारत में अधिकारों और आजादी में आई कमी को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है.
2019 के बाद आई तेजी
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस पतन की रफ्तार 2019 में मोदी के दोबारा चुने जाने के बाद और तेज हो गई. संस्था देशों को 25 मानकों पर अंक देती है, जिनमें आजादी और अधिकारों से जुड़े कई सवाल शामिल हैं. आम लोगों द्वारा स्वतंत्रता से और बिना किसी डर के अपने विचार व्यक्त करने के सवाल पर में हाल के वर्षों में कई लोगों के खिलाफ राजद्रोह जैसे आरोप लगाने के चलन में आई बढ़ोतरी की वजह से भारत के अंक गिर गए हैं.
जमातियों का जिक्र
Freedom House की रिपोर्ट में जमातियों का अप्रत्यक्ष रूप से जिक्र किया गया है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड महामारी की शुरुआत में भारत के मुस्लिमों को कोरोना वायरस फैलाने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया. इसमें सत्ताधारी दल के लोग भी शामिल थे. राजनीतिक विचारों की अभिव्यक्ति की आजादी को दबाने की चर्चा करते हुए कहा गया है कि साल 2020 में जिन लोगों ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन किया था, उनमें से कई लोगों के खिलाफ राजद्रोह के मुकदमे चलाए गए. न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर टिप्पणी करते हुए फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट में न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के राज्यसभा में नियुक्ति की ओर इशारा किया गया है.
क्या है Freedom House
बता दें कि Freedom House एक अमेरिकी रिसर्च संस्थान है, जो हर साल फ्रीडम पर इस तरह की रिपोर्ट लाती है. एक अमेरिकी शोध संस्थान है जो हर साल ‘फ्रीडम इन द वर्ल्ड’ रिपोर्ट निकालता है. इस रिपोर्ट में दुनिया के अलग अलग देशों में राजनीतिक आजादी और नागरिक अधिकारों के स्तर की समीक्षा की जाती है. फ्रीडम हाउस रैंकिंग में मिलियन-प्लस देशों की गिरावट के साथ कहा कि दुनिया की 20 प्रतिशत से कम आबादी मुक्त देशों में रहती है, जो 1995 के बाद सबसे कम है.