Hunger in India: भारत में भुखमरी की समस्या को लगातार उठाया गया है. इस बार इसका मुद्दा राज्यसभा में उठाया गया है. शुक्रवार को सदन में भुखमरी पर जबरदस्त बहस हुई. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने सदन में भुखमरी इंडेक्स में 2020 में भारत की स्थिति पर चिंता जताते हुए सरकार से सवाल किया था लेकिन इस सवाल का जवाब कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने एक अजीब उदाहरण के साथ दिया. Hunger in India
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने राज्यसभा में हंगर इंडेक्स के आंकड़ों को ब्योरा देते हुए पूछा कि आखिर ये भुखमरी की समस्या से हम निजात क्यों नहीं पा रहे हैं और हंगर इंडेक्स की रैंकिंग में हम इतने नीचे क्यों हैं? Hunger in India
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इस सवाल का जवाब कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने बताया कि इस देश में कुत्ते के बच्चे भी जब भूखे नहीं रहते तो इंसान के बच्चों के भूखे रहने का सवाल ही नहीं उठता. Hunger in India
क्या था सवाल ?
संजय सिंह ने सवाल किया था कि मंत्री जी कह रहे हैं कि भारत की हालत सुधरी है क्योंकि हंगर इंडेक्स में 2019 में 102वें नंबर पर था 2020 में 94वें स्थान पर आया. मैं बड़ी विनम्रता से पूछना चाहता हूं कि भारत दुनिया के 10 सबसे बड़े उत्पादक देशों में से एक है, समस्या उत्पादन नहीं वितरण हैं. तो ऐसे में इस समस्या का समाधान कब होगा. मैं मंत्रीजी से पूछना चाहता हूं कि जब हम उत्पादन में 10वें नंबर पर हैं तो हम भूखमरी में इतने नीचे क्यों हैं? Hunger in India
मंत्री जी का जवाब
जवाब में कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने कहा कि ये जो भूखमरी की बात हो रही है, खासकर देश के बच्चों के बीच भूखमरी की बात, तो ये ठीक नहीं है कि कोई विदेशी एनजीओ आकर सर्वेक्षण करके चला जाता है, हमने उन एनजीओ से सवाल किया है. लेकिन मैं अपना एक निजी अनुभव बताना चाहता हूं. Hunger in India
उन्होंने आगे कहा कि हमारे यहां जब गलियों में जब आवारा कुत्ते के भी बच्चे होते हैं तो हमारी माताएं और बहनें उनके बच्चों को खाना खिलाने जाती हैं. ऐसी परंपरा है इस देश में, तो ऐसे समाज में बच्चों के भूखे रहने का आकलन कोई और करके दे तो ये ठीक नहीं है. हट्ठे-कट्ठे बच्चे को भूखमरी में गिना जा रहा है. कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने कहा कि हमारे यहां खाने की समस्या नहीं है और ना ही स्टॉक की समस्या है.