Suez Canal: स्वेज नहर में फंसा विशालकाय मालवाहक जहाज आखिरकार अपनी राह पकड़ने में सफल रहा. दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कार्गो शिप एमवी एवरगिवेन को रविवार को स्वेज नहर से 6 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद निकाला गया. अब हर कोई इस बात को जानने की कोशिश कर रहा है कि आखिर यह संभव कैसे हुआ? Suez Canal
400 मीटर लंबे और 224,000 टन के इस जहाज को निकालने की कोशिशें 6 दिनों से जारी थीं. लेकिन रविवार तक सफलता हाथ नहीं लगी थी. इस जहाज के फंसे कोने के कारण सैकड़ों मालवाहक जहाज भी फंस गए थे और अरबों रुपये का नुकसान कंपनियों को उठाना पड़ा है. Suez Canal
कैसे निकला जहाज?
इसे निकालने में मदद सुपरमून ने मदद की. यानी चांद की वजह से इस जहाज को निकलने में मदद मिली.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्वेज नहर में फंसे दुनिया के सबसे बड़े जहाज को निकालने के लिए टगबोट्स की मदद ली गई. टगबोट्स वो होते हैं, जिनसे जहाज को खींचकर ले जाया जाता है. एमवी एवर गिवेन को निकालने के लिए ऐसे ही 10 टगबोट्स लगाए गए. सोमवार सुबह तक इनकी मदद से जहाज को 80% तक सीधा कर लिया गया था. अधिकारियों ने बताया कि जहाज को निकालने में सबसे बड़ी चुनौती ये भी थी कि इसके ऊपर 2.20 लाख टन से ज्यादा का सामान लदा हुआ था. Suez Canal
इंजीनियर्स की टीम को इस हफ्ते शुरू हो रहे सुपरमून ने बड़ी उम्मीदें थीं. इसकी वजह से पानी का स्तर सामान्य टाइड की तुलना में करीब डेढ़ फुट तक बढ़ने के आसार थे. इसकी वजह से नहर के दूसरी तरफ फंसे जहाज को बिना अनलोड किए खींचना उनके लिए आसान हो सकता था. 1300 फुट के इस जहाज पर 18,000 या इससे ज्यादा कंटेनर्स लदे थे और इन्हें अनलोड करके दूसरे जहाज पर लोड करके रवाना करने में काफी समय लग सकता था. Suez Canal
सुपरमून या फुल मून के समय समंदर में काफी तेजी से ऊंची-ऊंची लहरें उठती हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि चांद, सूरज के साथ एक ही रेखा में होता है. Suez Canal
कैसे फंसा था जहाज
एमवी एवर गिवेन जहाज दुनिया का सबसे बड़े मालवाहक जहाजों में से एक है. ये चीन से नीदरलैंड्स के पोर्ट रोटेरडम जा रहा था. तभी रास्ते में स्वेज नहर में जहाज घूम गया और अटक गया. इससे नहर का रास्ता ब्लॉक हो गया. मिस्त्र के अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी एपी को बताया था कि तेज हवा की वजह से जहाज घूम गया और फंस गया. क्योंकि जिस दिन (23 मार्च) को ये जहाज नहर में फंसा था, उस दिन यहां 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल रही थी. अधिकारियों के मुताबिक, स्वेज नहर से हर दिन 50 के आसपास जहाज गुजरते हैं. इस जहाज को 25 भारतीय का दल चला रहा था.