कोयला तस्करी मामले (Coal Smuggling Case) में चार महीने से फरार चल रहे किंगपिन अनूप मांजी उर्फ लाला मंगलवार को कोलकाता में सीबीआई के समक्ष पेश हुए. लाला निजाम पैलेस स्थित सीबीआई दफ्तर में पेश हुआ. सीबीआई की तरफ से लाला के खिलाफ कई नोटिस जारी किए गए थे. Coal Smuggling Case
बता दें कि कुछ समय पहले एक नए नोटिस में सीबीआई की तरफ से लाला को 30 मार्च के पहले पेश होने के लिए कहा गया था. हालांकि वह चार महीनों से हाजिर नहीं हो रहे थे. Coal Smuggling Case
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हालांकि अनूप मांजी की गिरफ्तारी पर छह अप्रैल तक सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है. सुप्रीम कोर्ट ने अनूप माजी को सीबीआई जांच में सहयोग करने को कहा है. कोर्ट ने भी आदेश में साफ कर दिया था कि इससे जांच पर कोई असर नही पड़ेगा. Coal Smuggling Case
दो वकीलों के साथ पहुंचे लाला
लाला अपने दो वकीलों के साथ मंगलवार को सीबीआई दफ्तर में पेश हुए. सीबीआई ने लाला से एंटी करप्शन ब्यूरो में पूछताछ करनी शुरू कर दी है. सीबीआई ने लाला के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया था. इसके साथ ही उनकी संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है. Coal Smuggling Case
मालूम हो कि बीते साल नवंबर में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने कोयला तस्करी के मामले में तीन राज्यों में 40 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की थी. केंद्रीय गृह मंत्री गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल में अपनी एक चुनावी यात्रा के दौरान अनूप मांझी का नाम लिया था. माजी को 30 मार्च को पूछताछ के लिए उपस्थित होने के लिए कहा गया था. Coal Smuggling Case
विनय मिश्रा के भाई हिरासत में
उधर सीबीआई ने शुक्रवार को कोयला तस्करी घोटाले के संबंध में दिल्ली स्थित प्रवर्तन निदेशालय की एक अदालत से तृणमूल युवा कांग्रेस के नेता विनय मिश्रा के भाई की हिरासत का अनुरोध किया था. विनय के भाई विकास मिश्रा अभी प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में है, जिसे 16 मार्च को दिल्ली से गिरफ्तार किया था.
कौन हैं लाला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आसनसोल ज़िले और रानीगंज के इलाके में कोयले का गैर कानूनी कारोबार करीब 1 लाख लोगों को डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तौर पर रोज़गार देता है. इस काले धंधे के केंद्र में अनूप मांझी उर्फ लाला का नाम अक्सर सामने आता रहा है. लाला का मुद्दा पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के समय काफी अहम भी है.
पश्चिम बंगाल के सबसे पिछड़े ज़िले पुरुलिया के भमूरिया गांव में जन्मा अनूप चार भाइयों और तीन बहनों के बीच गरीब परिवार की भूख से लड़ता हुआ बचपन गुज़ार रहा था, तभी पारखी नज़रें समझ रही थीं कि यह भूख इतिहास रच सकती थी. कोयले की खदान में काम करने वाले मज़दूर के इस बेटे की स्लेट यही खदानें बनीं, जिन पर काले हीरे से उसने अपनी ही नहीं, अपने साथ के लोगों की तकदीर भी लिखना शुरू की.
कुछ रिश्तेदारों और दोस्तों की बदौलत वो कोयले की दुनिया में दाखिल हुआ. जवान होते होते रघुनाथपुर, आसनसोल और रानीगंज में उसके पास कोयला फैक्ट्रियां थीं, जहां चोरी के कोयले का पहुंचना शुरू हो चुका था. भूख बढ़ी तो अनूप रघुनाथपुर के जंगलों में कास्ट माइन का गैरकानूनी धंधा भी शुरू किया. यहां से वो अनूप से लाला बनता चला गया. आज हज़ारों करोड़ के उनके कोल एम्पायर में 50,000 से ज़्यादा लोग काम करते हैं.