बिहार में जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई है. सोमवार को इस मुद्दे को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल जातिगत जनगणना के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने साउथ ब्लॉक पहुंचा. बिहार के सभी नेताओं ने पीएम मोदी के सामने जाति आधारित जनगणना को लेकर अपनी बात रखी. पीएम मोदी से मुलाकात के बाद सभी नेताओं ने कहा कि पीएम ने हमारी बातों को ध्यान से सुना. उम्मीद है वह इस मुद्दे को लेकर जल्द फैसला लेंगे.
जातिगत जनगणना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने हमारी पूरी बात सुनी. सबने जातिगत जनगणना के पक्ष में एक-एक बात कही है. उन्होंने हमारी बात को नकारा नहीं है, हमने कहा है कि इस पर विचार करके आप निर्णय लें.
वहीं बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी से मुलाकात के बाद कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमारी बात गंभीरता से सुनी है, अब हम लोगों को उनके निर्णय का इंतज़ार है. तेजस्वी ने आगे कहा कि बिहार विधानसभा में दो बार जातीय जनगणना का प्रस्ताव पारित हुआ और आख़िरी जातीय जनगणना 1931 में हुई. इससे पहले 10-10 साल में जातीय जनगणना होती रही. जनगणना से सही आंकड़े सामने आएंगे जिससे हम लोगों के लिए बजट में योजना बना सकते हैं.
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने पीएम मोदी से मिलने के बाद कहा कि हमने प्रधानमंत्री से कहा कि हर हालत में जातिगत जनगणना कराएं, ये ऐतिहासिक निर्णय होगा. उन्होंने बहुत गंभीरता से हमारी बात सुनी है इसलिए हमें लगता है कि जल्दी ही कोई निर्णय होगा. मांझी ने आगे कहा कि जातिगत जनगणना कराने के लिए बिहार विधानसभा ने दो बार सर्वसम्मति से केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव भेजा है. 1931 के बाद कोई जातिगत जनगणना नहीं हुई है. बिहार के सत्ता और विपक्ष सभी इस मुद्दे के लिए तैयार हैं.
गौरतलब है कि बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार की पहले से ही मांग है कि यह एक अहम मुद्दा है. जातिगत जनगणना सिर्फ बिहार में नहीं बल्कि पूरे देश में होनी चाहिए.
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