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तालिबान से आगे बातचीत होगी इसका हां या ना में जवाब नहीं दिया जा सकता: विदेश मंत्रालय

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कतर की राजधानी दोहा में भारतीय राजदूत दीपक मित्तल और तालिबानी नेता शेर मोहम्मद अब्बास के बीच हुई मुकालात के बाद भारत में सियासी पारा गरम हो गया है. विपक्षी दल सरकार पर हमला बोलते हुए तालिबान को लेकर अपने रुख साफ करने की मांग की है. लेकिन अभी तक केंद्र की मोदी सरकार तालिबान को लेकर असमंजस की स्थिति में दिख रही है. इस बीच विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने साफ कर दिया कि हमारा मकसद सिर्फ इतना है कि अफगानिस्ता की जमीन का इस्तेमाल किसी भी तरीके से आतंकी गतिविधियों के लिए नहीं होना चाहिए.

गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने तालिबान को लेकर कहा कि आगे बातचीत होगी या नहीं, इसका हां या ना में जवाब नहीं दिया जा सकता है. अरिंदम बागची ने आगे कहा कि यह हां और ना की बात नहीं है (तालिबान के साथ आगे की बैठकों के रोडमैप पर) हमारा उद्देश्य है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी तरह की आतंकी गतिविधि के लिए न हो.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने आगे कहा कि अफगानिस्तान में किस तरह की सरकार बन सकती है इसके बारे में हमें कोई विस्तार से जानकारी नहीं है. तालिबान के साथ बैठक के बारे में मेरे पास कोई अपडेट नहीं है. मिल रही जानकारी के अनुसार जल्द ही तालिबान अफगानिस्तान में सरकार पर बनाने का ऐलान कर सकती है, और इस मौके पर कई पड़ोसी देश के नेताओं को इसमें शामिल रहने के लिए न्योता दे सकती है.

अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों के वापसी के बाद तालिबान ने एक बार फिर से कब्जा कर लिया है. जिसके बाद से हर गुजरते दिन के साथ अफगानिस्तान के हालात खराब होते जा रहे हैं. अफगानिस्तान की मौजूदा सूरते हालात को लेकर भारत सरकार का रुख भी धीरे-धीरे नर्म पड़ने लगा है. इस बीच आईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने तालिबान को लेकर मोदी सरकार से सवाल किया है. औवेसी ने कहा कि क्या मोदी सरकार तालिबान को आतंकवादी मानती है या नहीं?

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