नई दिल्ली: अगले साल पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र की मोदी सरकार बड़ा फैसला कर सकती है. सूत्रों के मुताबिक सरकार ने “एक देश एक भाव” के तहत पेट्रोल-डीजल, प्राकृतिक गैस और एविएशन टर्बाइन फ्यूल को जीएसटी के दारये में लाने पर विचार करना शुरू कर दिया है.
17 सितंबर को लखनऊ में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में इस पर चर्चा होने की संभावना है. कोरोना महामारी के बाद से जीएसटी काउंसिल की यह पहली फिजिकल बैठक होगी. GST काउंसिल की 45वीं बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी. इस बैठक में मंत्रियों का समूह “एक देश-एक-भाव” के प्रस्ताव पर चर्चा कर सकती है. बैठक में एक या एक से अधिक पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने पर चर्चा हो सकती है.
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आ सकती है कमी
अगर जीएसटी परिषद मंत्रियों के समूह के प्रस्ताव पर मुहर लगा देती है तो देश के सभी राज्यों में पेट्रोल-डीजल के दाम एक जैसे हो जाएंगे. इतना ही नहीं एक समान जीएसटी से पेट्रोल और डीजल की कीमत में भारी कमी आ जाएगी. हालांकि, जीएसटी काउंसिल इस प्रस्ताव से अभी तक सहमत नहीं है. सूत्रों का दावा है कि राजस्व को देखते हुए जीएसटी परिषद के शीर्ष अधिकारी पेट्रोलियम उत्पादों पर एक समान जीएसटी लगाने को तैयार नहीं हैं.
वित्त वर्ष 2019-20 में राज्य और केंद्र सरकारों को पेट्रोलियम उत्पादों से 5.55 लाख करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ. पेट्रोल और डीजल से सबसे ज्यादा राजस्व सरकारों को मिलता है. केंद्र सरकार पेट्रोल पर 32 फीसदी टैक्स लगा रही है जबकि राज्य सरकार करीब 23.07 फीसदी टैक्स लगा रही है. दूसरी तरफ केंद्र डीजल पर 35 फीसदी टैक्स लगा रहा है और राज्य सरकार 14 फीसदी से ज्यादा टैक्स लगा रही है. जिसकी वजह से पेट्रोल और डीजल की कीमत अपनी मूल कीमत से दोगुनी हो जाती है.
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