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अहमदाबाद: डॉक्टरों का दावा कोरोना को मात देने वालों का फेफड़ा 50 फीसदी हो जाता है कमजोर

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अहमदाबाद: कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने देश में कोहराम मचा दिया था. कई लोग तो कोरोना वायरस से अपनी जान भी गंवा चुके हैं. इस बीच अहमदाबाद से सिविल अस्पताल के डॉ. नरेंद्र रावल ने कहा, “ज्यादातर लोगों ने प्रतिरक्षा प्रतिरक्षा विकसित कर ली है और टीके की खुराक प्राप्त कर ली है.” जिसकी वजह से संभावित तीसरी लहर की ऐसे लोगों पर प्रभाव कम पड़ेगा. लेकिन जिनके फेफड़े पहले से ही कोरोना से कमजोर हो चुके हैं उनके लिए खतरा आज भी बरकरार है.

सिविल अस्पताल के डॉ. नरेंद्र रावल ने आगे कहा कि कोरोना वायरस फेफड़ों को स्थायी नुकसान पहुंचाता है. फेफड़ों की 100 प्रतिशत रिकवरी दुर्लभ है. दवाएं 50 से 60 प्रतिशत का अंतर पैदा कर सकती हैं और ठीक होने में 3 से 12 महीने लग सकते हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना के अनुमानित 100 में से 40 मरीज फेफड़े की स्थायी क्षति के कारण ठीक होने की दवा ले रहे हैं. हालाँकि परिणाम सकारात्मक कम दिखाई दे रहे हैं. ऐसे मरीज थर्ड वेव के लिए सॉफ्ट टारगेट हो सकते हैं. ऐसे मरीजों को कोरोना गाइडलाइन का सख्ती से पालन करना होगा.

कोरोना वायरस फेफड़ों में वायुमार्ग पर हमला करता है और दीवार को तोड़ देता है. यह वायुमार्ग वातावरण से ऑक्सीजन लेकर शरीर में पहुंचाता है और कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करती हैं. लेकिन वायरस के कारण होने वाला फाइब्रोसिस पारदर्शी नहीं होता है. 35 से 40 साल के बीच के उन मरीजों की हैं जिनके फेफड़े कोरोना से ठीक होने के बाद भी स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हैं.

अहमदाबाद सिविल अस्पताल के रेडियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. पंकज अमीन ने कहा, “जिनके फेफड़े कोरोना से क्षतिग्रस्त हो गए हैं, वे ज्यादातर अपरिवर्तनीय हैं.” उनकी वर्तमान एमआरआई और सीटी स्कैन रिपोर्ट फेफड़ों में पैच दिख रही है.

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