जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने दो दिनों में पांच और पांच दिनों में सात नागरिकों की हत्या की है. इन आतंकी हमलों की वजह से घाटी में नागरिकों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं. हालांकि इस बीच जानकारी मिल रही है कि कश्मीर घाटी में नागरिकों, खासकर गैर-मुसलमानों को मारने के बारे में सुरक्षा एजेंसियों के पास तीन महीने पहले ही पुख्ता इनपुट था. साथ ही हमलों में पाकिस्तान की भूमिका का भी खुलासा हो रहा है.
मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने के बाद हाल ही में कश्मीर घाटी में ‘द रेसिस्टंस फोर्स’ उभरा है. जिसकी वजह से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का खतरनाक चलन एक बार फिर शुरू हो रहा है. आतंकवादियों ने अब बड़े पैमाने पर हमला करने के बजाय नागरिकों को निशाना बनाकर मारना शुरू कर दिया है. वह भी विशेष रूप से गैर-कश्मीरी, गैर-मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है.
कश्मीर में हुई नागिरकों की हत्या पर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि मृतकों के परिज़नों के आंसुओं का ज़रूर हिसाब किया जाएगा. सुरक्षाबलों के साथ इस मामले पर विस्तृत चर्चा हुई है. इन दुश्मनों को बख़्शा नहीं जाएगा. पिछले कुछ दिनों में बहुत दुखद घटनाएं हुईं हैं. जिन लोगों ने अपनी जान गंवाई है उन्हें मैं सच्ची श्रद्धांजलि देता हूं और उनके परिजनों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करता हूं.
कश्मीर में हुई नागरिकों की हत्या पर PDP अध्यक्षा महबूबा मुफ़्ती ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि ये जो हत्या हुई है उसकी निंदा करते-करते हम थक गए हैं. आज भी हमारे दो टीचर मारे गए हैं. इस डबल इंजन सरकार की यह बहुत बड़ी नाकामी है. इस हादसे के बाद इन लोगों को कश्मीर में और सख़्ती करने का बहाना मिल जाएगा.
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