बीते कुछ दिनों से देशवासियों को महंगाई की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है. जहां एक तरफ सब्जियों के दाम आसमान को छू रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि का सिलसिला जारी है. दशहरा के मौके पर भी लोगों को तेल कंपनियों ने राहत नहीं दी है. आज एक बार फिर से पेट्रोल की कीमतों में 30 से 35 पैसे की और डीजल के दाम में 33 से 38 पैसे की वृद्धि की गई है.
आज होने वाली भाव वृद्धि के बाद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 105.14 रुपए प्रति लीटर और डीजल की कीमत 93.87 रुपये प्रति लीटर, मुंबई में पेट्रोल और डीजल की कीमतें प्रति लीटर 111.09 रुपये और 101.78 रुपये, कोलकाता में 105.76 रुपये और 96.98 रुपये, इसी तरफ चेन्नई में पेट्रोल 98.26 और डीजल 102.40 रुपया प्रति लीटर में बिक रहा है.
गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2019-20 में राज्य और केंद्र सरकारों को पेट्रोलियम उत्पादों से 5.55 लाख करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था. पेट्रोल और डीजल से सबसे ज्यादा राजस्व सरकारों को मिलता है. केंद्र सरकार पेट्रोल पर 32 फीसदी टैक्स लगा रही है जबकि राज्य सरकार करीब 23.07 फीसदी टैक्स लगा रही है. दूसरी तरफ केंद्र डीजल पर 35 फीसदी टैक्स लगा रहा है और राज्य सरकार 14 फीसदी से ज्यादा टैक्स लगा रही है. जिसकी वजह से पेट्रोल और डीजल की कीमत अपनी मूल कीमत से दोगुनी हो जाती है.
बुलेट ट्रेन की तरह पेट्रोल-डीजल के दाम दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं. जिसे देखकर लगता है सरकार अच्छे दिन लाने के अपने वादों को भूल गई है. इतना ही नहीं महंगाई बढ़ाकर मोदी सरकार अपने अच्छे दिन लाने के लिए लोगों को दोनों हाथों से लूट रही है. सरकार का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें बढ़ रही हैं. इसलिए पेट्रोल-डीजल की कीमत उनके हाथ में नहीं है. लेकिन अगर पेट्रोल और डीजल के जीएसटी के दायरे में ला दिया जाए तो इसकी कीमतों में भारी गिरावट आ जाएगी.
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