नई दिल्ली: कृषि कानून वापस लेने का प्रधानमंत्री मोदी ने ऐलान भले ही कर दिया हो लेकिन किसानों का आंदोलन इसके संसद में रद्द होने तक चलेगा. कल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ किसान महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत ने ऐलान किया कि आंदोलन जारी रहेगा. इस बीच जानकारी सामने आ रही है कि सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र में कृषि कानूनों को निरस्त करने से पहले सदन में मुद्दों पर आम सहमति सुनिश्चित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
संसद का मानसून सत्र 29 नवंबर से शुरू होने जा रहा है. एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि रविवार 28 नवंबर को सत्र से पहले एक सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया गया है. जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने की उम्मीद है.
खबरों के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी की संसदीय कार्य समिति की बैठक उसी शाम होने की संभावना है, लेकिन उससे पहले दोपहर 3 बजे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के नेताओं की बैठक होगी. सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में पीएम मोदी भी शामिल होंगे.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक विपक्षी दलों के हंगामा को खत्म करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा अध्यक्ष एम वेंकैया नायडू भी इस साल मानसून सत्र शुरू होने से पहले सभी दलों के नेताओं से मिलने जा रहे हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए संसद में एक ही विधेयक पेश कर सकता है. यानी तीन अलग-अलग कानूनों को निरस्त करने के लिए तीन नए बिल पेश करने की जरूरत नहीं होगी.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बुधवार को होने वाली केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में कृषि कानून को वापस लेने वाले प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है.
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