मुंबई: किसान आंदोलन को आज एक साल पूरा हो चुका है. पीएम मोदी तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर चुके हैं. बावजूद इसके किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. इस बीच महाराष्ट्र के दिग्गज नेता और राकांपा अध्यक्ष शरद पवार का कहना है कि आज स्थिति अलग होती अगर केंद्र सरकार कृषि कानून बनाने से पहले सभी राज्यों को विश्वास में लेती और संसद में इस पर चर्चा करने के बाद पास करती.
राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने आगे कहा कि अगर अगले साल कुछ राज्यों में चुनाव नहीं होते तो शायद सरकार तीनों कानूनों को निरस्त करने की घोषणा नहीं करती.
पवार ने आगे कहा कि मुझे विश्वास है कि शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी. अगले चुनाव में तीनों दल अगर साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी तो सत्ता में वापस भी आएगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रकाश पर्व के मौके पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा कर सभी को चौंका दिया था. इतना ही नहीं केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी है. बावजूद इसके किसान अब भी अपना आंदोलन खत्म करने को तैयार नहीं हैं. मोदी सरकार के इस फैसले को विपक्षी चुनावी फैसला करार दे रहा है.
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