उत्तराखंड: विवादास्पद देवस्थानम बोर्ड को पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने भंग करने का ऐलान किया है. इस बोर्ड का गठन पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के कार्यकाल में किया गया था. आज आधिकारिक घोषणा के बाद सीएम धामी ने कहा कि हमारी सरकार ने चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड विधेयक को वापस लेने का निर्णय लिया है. धामी सरकार के इस फैसले को कांग्रेस ने चुनावी एजेंडा करार दिया है.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस सिलसिले में जानकारी देते हुए कहा कि मनोहर कांत ध्यानी जी ने एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई थी. उस कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट दी है. जिस पर हमने विचार करते हुए निर्णय लिया है कि हम इस अधिनियम को वापस ले रहे हैं. आगे चल कर हम सभी से बात करते जो भी उत्तराखंड राज्य के हित में होगा उस पर कार्रवाई करेंगे.
उत्तराखंड के CM ने आगे कहा कि पिछले दिनों देवस्थानम बोर्ड को लेकर विभिन्न प्रकार के सामाजिक संगठनों, तीर्थ पुरोहितों, पंडा समाज के लोगों और विभिन्न प्रकार के जनप्रतिनिधियों से बात की है और सभी के सुझाव आए हैं.
धामी सरकार के इस फैसले को कांग्रेस ने चुनावी एजेंडा करार दिया है. कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि ये फैसला आने वाले चुनाव में हार से भयभीत सरकार का फैसला है. जिस दिन देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया था उस दिन ही कांग्रेस ने विधानसभा में और नेताओं ने बाहर इसका विरोध किया और कहा कि ये हमारी परंपरा और संस्कृति के खिलाफ़ है.
कांग्रेस नेता हरीश रावत ने आगे कहा कि उस समय सरकार अपने अंहकार में थी. जब उन्हें लगा कि इससे जनमत खिलाफ हो रहा है और सरकार को अपनी हार स्पष्ट दिखाई देने लगी तो उन्होंने देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का फैसला किया है. गौरतलब है कि देवस्थानम बोर्ड का गठन होने के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के खिलाफ कई साधू शंत आवाज उठा रहे थे और फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे थे.
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