गांधीनगर: 2020-21 में पुलिस हिरासत में मौतों के मामले में गुजरात देश में पहले स्थान पर है, गुजरात में पुलिस हिरासत में सबसे अधिक 17 आरोपियों की मौत हुई है, इसके बाद महाराष्ट्र में पुलिस हिरासत में 13 आरोपियों की मौत हुई है. इसके अलावा देश के किसी भी राज्य में पुलिस हिरासत में दोहरे अंक में किसी भी आरोपी की मौत नहीं हुई है. केंद्रीय गृह मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2020-21 में देशभर में कुल 100 आरोपियों की पुलिस की हिरासत के दौरान मौत दर्ज की गई है.
सरकारी रिपोर्ट में कहा गया है कि गुजरात में पुलिस हिरासत में मौत के सात मामलों में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से मृतक के परिवार को 24 लाख रुपये की सहायता राशि देने की सिफारिश की गई है. साल 2018-19 के दौरान गुजरात में पुलिस हिरासत में 13 आरोपियों की मौत हुई, उसके अगले साल 2019-20 में 12 आरोपियों की मौत हुई जबकि 2020-21 में पुलिस हिरासत में मरने वालों की संख्या बढ़कर 17 हो गई है.
कस्टोडियल डेथ के मामले में गुजरात के बाद पडोसी राज्य महाराष्ट्र का आता है. यहां पुलिस की हिरासत में 13 आरोपियों की मौत दर्ज की गई है. उत्तर प्रदेश, बंगाल और मध्य प्रदेश में 8-8 आरोपियों की पुलिस हिरासत में मौत होने की जानकारी सामने आई है. आंध्र प्रदेश में 3, बिहार में 3, अरुणाचल प्रदेश में 1, असम में 1, हरियाणा में 3, जम्मू और कश्मीर में 2, केरल में 1, मेघालय में 2, पंजाब में 2, राजस्थान में 3, तमिलनाडु में 2, दिल्ली में 4 , छत्तीसगढ़ में 3, उत्तराखंड में 1 और तेलंगाना में पुलिस की हिरासत में एक आरोपी की मौत का मामला दर्ज हुआ है.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरे भारत में पिछले 20 वर्षों में हिरासत में मौत के मामले को लेकर 893 पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. उसमें से सिर्फ 358 के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है. लेकिन 2006 में हिरासत में मौत के मामले में अधिकतम 11 पुलिस अधिकारियों को दोषी ठहराया गया था. सात पुलिसकर्मियों को यूपी में और चार को मध्य प्रदेश में दोषी ठहराया गया था.
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