राजकोट: गुजरात में सूदखोरी के आतंक को खत्म करने के लिए गुजरात सरकार ने बड़ा फैसला लिया था. राज्य में पिछले दिनों लागू होने वाले गुंडा एक्ट में सूदखोरी के मामले को शामिल कर लिया गया है. इसलिए अब सूदखोरी की गैरकानूनी गतिविधि में शामिल लोगों को भी इस कानून के तहत जेल में डाला जा सकता है. लेकिन सूदखोरों का आतंक खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. राजकोट में सूदखोरों का उत्पीड़न एक बार फिर सामने आया है. जिसमें सूदखोरों के प्रताड़ना से तंग आकर एक युवक ने जहरीली दवा खाकर आत्महत्या कर ली है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार शहर में रहने वाले अशोक मकवाना नाम के एक होनहार युवक को सूदखोरों द्वारा बार-बार धमकाया जाता था. जिससे उसने जहरीली दवा खाकर आत्महत्या कर ली है. फिलहाल मृतक के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए सिविल अस्पताल भेज दिया गया है.
मृतक के पिता राजूभाई ने इस सिलसिले में जानकारी देते हुए कहा कि तालाबंदी से पहले मेरा बेटा इमिटेशन का व्यवसाय करता था. हालांकि जब कोरोना की वजह से लॉकडाउन लगाया गया उसके बाद उसका कारोबार चौपट हो गया. जिसके लिए मेरे बेटे ने भीमाभाई बांभव से 15% ब्याज पर 35 हजार रुपया था. इसके अलावा भरतभाई से भी 10% ब्याज पर 25,000 रुपया लिया था.
पिता ने आगे बताया कि हजार कोशिशों के बाद भी वह बयाज पर लिए गए पैसे को चुका नहीं पा रहा था. इस बीच मेरे बेटे को भरतभाई और भीमाभाई द्वारा बार-बार धमकाया जाने लगा. जिससे तंग आकर मेरे बेटे ने आखिरी कदम उठाया है.
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