नई दिल्ली: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के करीब 9 लाख कर्मचारी आज (16 और 17 दिसंबर) से दो दिन की हड़ताल पर हैं. निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मचारी हड़ताल पर जाने का फैसला किया है. हड़ताल के कारण आम जनता को बैंकिंग संबंधी कार्यों को लेकर दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. हालंकि बैंकों ने ग्राहकों से पहले ही कह दिया था कि हड़ताल से चेक क्लियरिंग और फंड ट्रांसफर सहित अन्य सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं. संघ के नेताओं ने कहा कि हड़ताल दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के सरकार के प्रयास के खिलाफ है.
भारतीय स्टेट बैंक इंडिया सहित अधिकांश बैंकों ने अपने ग्राहकों को सूचित किया है कि हड़ताल से चेक क्लियरिंग और फंड ट्रांसफर जैसी बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं.
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के तत्वावधान में बैंक यूनियनों ने 2021-22 के बजट में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में दो दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया है. बजट में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी. यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस 9 यूनियनों का एक संगठन है.
अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ के महासचिव सौम्या दत्ता ने इस सिलसिले में जानकारी देते हुए कहा कि बुधवार को अतिरिक्त मुख्य श्रम आयुक्त के समक्ष हुई सुलह बैठक विफल रही और यूनियनों ने हड़ताल पर जाने के उनके फैसले का समर्थन किया. सरकार ने इस साल 2021-22 के बजट में सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव रखा था.
इससे पहले भारतीय स्टेट बैंक सहित कई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने यूनियनों से दो दिवसीय देशव्यापी हड़ताल पर जाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था. देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने एक ट्वीट में अपने कर्मचारियों से फैसले पर पुनर्विचार करने और हड़ताल में भाग लेने से परहेज करने का आग्रह किया है.
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