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भारत में नाइट कर्फ्यू लगाने का कोई वैज्ञानिक कारण नहीं, ओमीक्रॉन के खिलाफ टीका प्रभावी: WHO

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भारत में ओमीक्रॉन के साथ-साथ कोरोना के मामले भी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. जिसकी वजह से अधिकांश राज्यों ने कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए नाइट कर्फ्यू सहित प्रतिबंध लगा दिए हैं. हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने शुक्रवार को कहा कि भारत में नाइट कर्फ्यू लगाने के पीछे कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि ओमीक्रॉन के खिलाफ टीके प्रभावी साबित हो रहे हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि भारत जैसे देशों को कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए विज्ञान आधारित नीतियां विकसित करनी चाहिए. नाइट कर्फ्यू जैसे नियम लागू करने का कोई मतलब नहीं है. कोरोना से बचाव के लिए साक्ष्य आधारित उपाय किए जाने चाहिए. सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की एक पूरी सूची है जिसका सरकार को पालन करना चाहिए. स्वामीनाथन ने कहा कि थिएटर सहित मनोरंजन स्थल वे स्थान हैं जहां वायरस सबसे तेजी से फैलता है. इसलिए उन जगहों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए. भारत में निकट भविष्य में ओमीक्रॉन के मामलों में भारी वृद्धि देखने को मिल सकती है.

सौम्या स्वामीनाथन ने एक अलग ट्वीट में कहा कि दुनिया में ओमीक्रॉन के कारण अस्पताल में भर्ती होने की घटनाएं बढ़ रही हैं. ज्यादातर लोग वह हैं जिन्होंने टीका नहीं लगवाया है ऐसे लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ रहा है. टीकाकरण कोरोना रोगियों को अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु से बचाता है. हालांकि, ओमीक्रॉन अभी तक दुनिया में एक गंभीर बीमारी के रूप में नहीं पाया गया है, लेकिन यह स्वास्थ्य प्रणाली को प्रभावित कर सकता है. टीकाकरण की प्रभावशीलता के बारे में स्वामीनाथन ने कहा कि टी सेल इम्युनिटी की ओमीक्रॉन के खिलाफ अच्छी पकड़ है. यह हमें गंभीर बीमारी से बचाता है.

इस बीच ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि देश में कोरोना महामारी की तीसरी लहर शुरू हो गई है. देश में ओमीक्रॉन वेरिएंट की रफ्तार तेज हो गई है. जिसकी वजह से कोरोना के दैनिक मामलों में भी भारी वृद्धि दर्ज की जाने लगी है. देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के 22 हजार से ज्यादा नए केस सामने आए हैं. वहीं इस दौरान 406 लोगों की मौत दर्ज की गई. दैनिक मामलों में दर्ज की जा रही वृद्धि की वजह से अब एक्टिव मामलों की संख्या 1 लाख को पार कर गई है.

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