हरिद्वार धर्म संसद में भड़काऊ भाषणों की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है. दिल्ली और उत्तराखंड के हरिद्वार में धर्म संसद में एक खास समुदाय के लोगों के खिलाफ नफरत वाली भाषा का इस्तेमाल करने के आरोप में जांच और कार्रवाई सुनिश्चित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से जवाब तलब किया है. मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी को होगी.
दरअसल पत्रकार कुर्बान अली और पटना हाईकोर्ट की पूर्व जज और वरिष्ठ वकील अंजना प्रकाश ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी. जिसमें हरिद्वार के धर्म संसद के संबंध में आपराधिक कार्रवाई की मांग की गई थी. इस धर्म संसद में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के खिलाफ तलवार उठाने और उनका नरसंहार का आह्वान किया गया था. बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया था.
याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट में पेश वरीष्ठ वकील कपिल सिब्बल अलीगढ़ में होने वाले धर्म संसद का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इस तरीके के धर्म संसद लगातार हो रहे हैं. सिब्बल ने कोर्ट से राज्य और केंद्र के अधिकारियों को जल्द से जल्द जवाब देने के लिए कहने का अनुरोध किया, ताकि ऐसे कार्यक्रम पर रोक लगाई जा सके. इतना ही नहीं कपिल सिब्बल ने आगे कहा कि इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है, उससे पहले पक्षकारों से जवाब मांगा जाना चाहिए.
गौरतलब है कि हरिद्वार में पिछले माह एक धर्म संसद का आयोजन किया गया था, जिसमें विशेष धर्म संप्रदाय के खिलाफ हेट स्पीच दिए जाने का मामला सामने आया था. इस केस में उत्तराखंड पुलिस ने वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी और अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया था. उत्तराखंड पुलिस ने ट्विटर पर लिखा था सोशल मीडिया पर धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण देकर नफरत फैलाने संबंधी वायरल हो रहे वीडियो का संज्ञान लेते हुए वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी एवं अन्य के विरुद्ध कोतवाली हरिद्वार में धारा 153A IPC के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत किया गया है और विधिक कार्यवाही प्रचलित है.
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