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‘अमर जवान ज्योत’ को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जलने वाली ज्वाला के साथ विलय

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नई दिल्ली: इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति का आज 50 साल बाद राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जल रही लौ के साथ विलय कर दिया गया. एयर मार्शल बालभद्र राधाकृष्ण की अध्यक्षता में यह समारोह हुआ.1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के प्रतीक अमर जवान ज्योति ज्वाला को केंद्र की मोदी सरकार ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जल रही लौ के साथ विलय करने का फैसला किया था. केंद्र के इस फैसले की आलोचना हो रही थी.

भारत सरकार की ओर से आज सुबह बयान जारी कर कहा गया था अमर जवान ज्योति की लौ बुझ नहीं रही है. इसे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के ज्वाला में मिला दिया जा रहा है. ये अजीब बात थी कि अमर जवान ज्योति की लौ ने 1971 और अन्य युद्धों में जान गंवाने वाले जवानों को श्रद्धांजलि दी, लेकिन उनका कोई भी नाम वहां मौजूद नहीं है. 1971 और उसके पहले और बाद के युद्धों सहित सभी युद्धों में सभी जान गंवाने वाले भारतीय जवानों के नाम राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में रखे गए हैं इसलिए वहां युद्ध में जान गंवाने वाले भारतीय जवानों को देने वाली ज्योति का होना ही सच्ची ‘श्रद्धांजलि’ है.

इसके अलावा भारत सरकार ने अपने बयान में कहा कि ये विडंबना ही है कि जिन लोगों ने 7 दशकों तक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक नहीं बनाया, वे अब हंगामा कर रहे हैं जब युद्धों में जान गंवाने वाले हमारे भारतीय जवानों को स्थायी और उचित श्रद्धांजलि दी जा रही है.

केंद्र की मोदी सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि भारत के लोगों के अंतरात्मा और उनकी मानसिकता में अमर जवान ज्योति की अपनी एक विशेष स्थान है इसलिए अमर जवान ज्योति की लौ को बुझाकर इसे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के ज्योति में मिलाए जा रहा है ये राष्ट्रीय त्रासदी और इतिहास को मिटाने की कोशिश है.

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