गांधीनगर: गुजरात के प्रसिद्ध कवि और राष्ट्रीय शायर झवेरचंद मेघाणी की आज पुण्यतिथि है. झवेरचंद मेघाणी ने अपने जीवन में 88 किताबें लिखी थीं. झवेरचंद मेघाणी का जन्म 28 अगस्त 1896 को सुरेंद्रनगर के चोटिला में हुआ था.
झवेरचंद मेघाणी का संबंध भावनगर से भी है. झवेरचंद मेघाणी ने सन 1912 से 1916 तक शामलदास आर्ट्स कॉलेज में संस्कृत और अंग्रेजी का अध्ययन किया था.
झवेरचंद मेघाणी ने सौराष्ट्र नी रसधार, सोरठी बहारवटियो, सोरठी संतो, माणसाइ ना दिवा, धरती नुं धावण जैसी कई रचनाएँ की हैं. इन रचनाओं ने लोगों को प्रेम, करुणा, दया और बड़प्पन का पाठ पढ़ाया.
अमरेली के बगसरा के रहने वाले झवेरचंद मेघाणी के पिता ब्रिटिश काठियावाड़ एजेंसी पुलिस में फौजदार थे. झवेरचंद मेघाणी ने एमए तक अपनी पढ़ाई करने के बाद पढ़ाई अधूरी छोड़ दी थी और कलकत्ता में जीवनलाल एंड कंपनी फर्म में नौकरी करने लगे थे.
उसके बाद वह बंगाली भाषा और रवींद्रनाथ टैगोर के परिचय में आए थे. उसके बाद वह कई बंगाली गीतों का गुजराती में अनुवाद करने और उनका भावनात्मक रूप से अनुवाद करने के बाद उन्होंने रवींद्र वीणा नामक कविता का एक संग्रह आने वाली पीढ़ियों को समर्पित किया था. सौराष्ट्र में बसने के बाद उन्होंने पहले एक पत्रकार के रूप में और बाद में सौराष्ट्र और फूलछाब जैसे अखबारों में संपादक के रूप में काम किया था.
गुजराती भाषा सेवा के लिए झवेरचंद मेघाणी को पहले रणजीतराम स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया था. उसके बाद भारतीय डाक विभाग द्वारा 1999 में एक डाक टिकट भी जारी किया गया था. झवेरचंद मेघाणी का 9 मार्च, 1947 की आधी रात को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था.
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