नई दिल्ली: पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में देश की ग्रैंड ओल्ड पार्टी (कांग्रेस) की शर्मनाक हार के बाद पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी में बड़े बदलाव की मुहिम छेड़ दी है. कई राज्यों के महासचिवों को जिम्मेदारी से मुक्त कर नए लोगों को नियुक्त किया गया है. ये बदलाव आगामी पार्टी संगठन चुनावों के साथ-साथ आगामी विधानसभा चुनाव और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं.
कांग्रेस में जहां कई पद लंबे समय से खाली हैं, वहीं कई नेता एक से अधिक जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. ऐसे में ऐसा लग रहा है कि पार्टी अध्यक्ष नियुक्ति के साथ-साथ जरूरी बदलाव भी करेंगी. इतना ही नहीं, पार्टी की छात्र शाखा नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया के अध्यक्षों, महासचिवों के साथ-साथ कई प्रदेश प्रभारियों के पद भी भरे जाएंगे, जिनकी लंबे समय से नियुक्ति नहीं हुई है. एनएसयूआई के प्रभारी का पद भी पिछले कुछ समय से खाली है. NSUI अध्यक्ष रुचिका गुप्ता ने दिसंबर 2020 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद से उनकी जगह पर किसी की नियुक्ति नहीं हुई है. मध्य प्रदेश में कमलनाथ प्रदेश मुखिया के अलावा विधानसभा में विपक्ष के नेता की भी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी भी लोकसभा पार्टी के नेता हैं. वहां पिछले कुछ समय से एक पूर्णकालिक क्षेत्र प्रभारी भी नियुक्त नहीं किया गया है. इसके अलावा जितिन प्रसाद के पार्टी छोड़ने के बाद 21 दिसंबर को चेला कुमार को पश्चिम बंगाल का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है.
पांच राज्यों में पार्टी की हार के बाद 18 मार्च को हुई कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में भी फेरबदल का मुद्दा उठा था. पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पार्टी को फिर से स्थापित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के साथ-साथ व्यापक संगठनात्मक परिवर्तन करने के लिए अधिकृत किया था. इसलिए यह मना जा रहा है कि सोनिया गांधी अब अपनी नई टीम बनाएंगी.
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