नई दिल्ली: बीते दिनों केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी देश की पहली हाइड्रोजन कार से संसद पहुंचे थे. इस मौके पर उन्होंने कहा था कि ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन होगा, इसके स्टेशन होंगे और देश का आयात भी बचेगा. इसके कारण नए रोजगार का भी निर्माण होगा. हम हाइड्रोजन का निर्यात करने वाला देश बनेंगे.
नितिन गडकरी जिस हाइड्रोजन कार से संसद भवन पहुंचे थे उसका खर्च एक से दो रुपए प्रति किलोमीटर है. एक बार फ्यूल टैंक फुल करने के बाद गाड़ी 600 किलोमीटर तक चलेगी. हालांकि इलेक्ट्रिक कारों की तुलना में हाइड्रोजन कार अभी थोड़ी अधिक महंगी हैं, लेकिन केंद्र सरकार की हरित हाइड्रोजन नीति के तहत 2030 तक देश की सड़कों पर 50 लाख हाइड्रोजन कारें चलाने की है.
कार ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के मिश्रण से तैयार होने वाली ईंधन से चलती है. लेकिन हाइड्रोजन की मात्रा ज्यादा होने की वजह से इसे हाइड्रोजन कार के रूप में जाना जाता है. पर्यावरण के लिहाज से भी यह कार काफी अहम है. इससे वायु प्रदूषण कम होगा. चूंकि कार्बन उत्सर्जित नहीं होता है, इसलिए यह पर्यावरण के लिए खतरनाक नहीं है.
ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाली कार से संसद पहुंचने के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मीडिया से बातचीत करते हुए आगे कहा कि प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने के लिए हमें तेल में भी आत्मनिर्भर होना होगा. ये गाड़ी जल्दी ही भारत में आएगी, देश में एक बड़ी क्रांति होगी. आयात कम होगा और हमारा आत्मनिर्भर भारत का सपना निश्चित रूप से साकार होगा.
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