नई दिल्ली: गरीबों के लिए अच्छे दिन लाने का वादा कर सत्ता में आई मोदी सरकार पिछले आठ सालों में पेट्रोल के दाम में 45 फीसदी और डीजल में 75 फीसदी की बढोतरी की है. इस बढोतरी की वजह से केंद्र का राजस्व 4 गुना बढ़ गया है. यह जानकारी पेट्रोलियम मंत्रालय के तहत कार्यरत पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल ने दी है.
1 अप्रैल 2014 को दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 72.26 रुपये और डीजल की कीमत 55.49 रुपये थी. आठ साल बाद 11 अप्रैल 2022 को दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 105.41 रुपये और एक लीटर डीजल की कीमत 96.67 रुपये हो गई है.
इन आठ वर्षों में पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क ने केंद्र सरकार के राजस्व को लगभग चौगुना कर दिया है. पीपीएसी के मुताबिक 2014-15 में केंद्र सरकार ने उत्पाद शुल्क से 99,068 करोड़ रुपये कमाए, जो 2020-21 में बढ़कर 3.73 लाख करोड़ रुपये हो गया है. केंद्र सरकार ने 2021-22 में अप्रैल से सितंबर तक उत्पाद शुल्क से 1.70 लाख करोड़ रुपये की कमाई की है.
केंद्र सरकार फिलहाल पेट्रोल पर 27.90 रुपये और डीजल पर 21.80 रुपये का उत्पाद शुल्क लगाती है. केंद्र सरकार की तरह, राज्य सरकारें वैट, बिक्री और कई अन्य कर लगाती हैं. यही वजह है कि रिफाइनरी से निकलकर हमारे पास आने वाले पेट्रोल-डीजल के दाम दोगुने हो जाते हैं.
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