आणंद: रामनवमी के दिन खंभात में हुए दंगों के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई की गई है. दंगाइयों के अवैध कब्जे पर जिला प्रशासन ने बुलडोजर चला दिया है. गृह विभाग की सबसे बड़ी कार्रवाई खंभात के शकरपुर में की गई है. दंगा प्रभावित इलाके में बनी दरगाह के पीछे की दुकानों पर बुलडोजर चलाया गया है. पुलिस और प्रशासन का कहना है कि इसी जगह से हिंसा की आग फैली थी.
खंभात में हुई हिंसा का अफगानिस्तान से तार जुड़े थे. अलग-अलग टीमें जांच में शामिल हुई, तलाशी के दौरान तकनीकी साक्ष्य जुटाए गए हैं और साइबर अपराध की जांच में सामने आया है कि यह एक सुनियोजित साजिश थी. स्लीपर मॉड्यूल के आधार पर साजिश रचने वाले रज्जाक हुसैन उर्फ मौलवी, जमशेद जोरावर पठान समेत छह लोग शामिल थे. हिसा से पहले कुछ लोगों की इस मामले को लेकर आपस में मुलाकात हुई थी.
बाहर से बुलाए गए थे लोग
जांच एजेंसी की पूछताछ में बड़े खुलासे हुए हैं. जिस दिन जुलूस की मंजूरी मिली उसी दिन साजिश रची गई थी. इसके लिए खंभात के बाहर से लोगों को बुलाया गया था. साजिश में शामिल सभी लोग जुलूस के एक दिन पहले ही पहुंच गए थे. प्लान बनाया गया था कि मस्जिद के पास से जैसे ही जुलूस निकलेगी पथराव कर दिया जाएगा.
जानकारी के मुताबिक, हिंसा के आरोपियो की प्रॉपर्टी भी गैर कानूनी होने की जानकारी प्रशासन को मिली है. अगर ये गैरकानूनी पाई जाती है तो उसे भी तोड़ा जाएगा. इससे पहले मध्यप्रदेश के खरगोन में भी हिंसा के आरोपियों और पत्थरबाजों की अवैध संपत्तियों को प्रशासन ने गिरा दिया था. सवाल यह उठता है कि रातों-रात संपत्ती गैरकानूनी कैसे हो जाती है.
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