राजस्थान के अलवर में बीते दिनों 300 साल पुराने मंदिर पर बुलडोजर चलाने को लेकर प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने आ गईं थी. अलवर में सराय गोल चक्कर के पास मौजूद मंदिर में पहले मूर्तियों को कटर से काटा गया और फिर मंदिर को बुलडोजर से ढहा दिया गया था. इस मामले को लेकर हिंदू संगठनों ने आज राजगढ़ में राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.
अलवर के राजगढ़ में कई हिंदू संगठनों ने 22 अप्रैल को मंदिर तोड़े जाने को लेकर प्रदर्शन मार्च किया. इस मौके पर भाजपा सांसद बालक नाथ ने कहा कि राजस्थान सरकार तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है, हमारी मांगे हैं कि जो अधिकारी इसमें शामिल थे उन्हें सज़ा दी जाए और जल्द से जल्द मंदिर का पुन: निर्माण कराया जाए, गहलोत जी को भी अपना पद छोड़ना होगा.
अधिकारियों पर गिरी थी गाज
राजस्थान के अलवर में अतिक्रमण के नाम पर मंदिर ढहाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी. कल राजस्थान सरकार ने अलवर में मंदिर तोड़े जाने पर राजगढ़ अनुमंडल दंडाधिकारी (SDM) केशव कुमार मीणा, राजगढ़ नगर पालिका बोर्ड के अध्यक्ष सतीश दुहरिया और नगर पंचायत के कार्यकारी अधिकारी बनवारी लाल मीणा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था.
फैसले के खिलाफ कोर्ट में जाने की दी धमकी
राज्य सरकार के इस फैसले के बाद राजगढ़ नगर पालिका बोर्ड के निलंबित अध्यक्ष सतीश दुहरिया ने बगावती सुर अपनाते हुए कहा कि राजस्थान सरकार द्वारा किया गया ये निलंबन ग़लत है. चेयरमैन और बोर्ड की इसमें कोई भी भागीदारी नहीं है. बोर्ड ने अपने प्रस्ताव में कभी किसी मंदिर को तोड़ने का उल्लेख नहीं किया. मैं उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाऊंगा.
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